वर्ष 2032 तक देश की ऊर्जा मांग दोगुनी
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वर्ष 2032 तक देश की ऊर्जा मांग दोगुनी हो जाएगी। ऐसे में केंद्र सरकार नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने में जुटी है। वर्ष 2030 तक गैर जीवाश्म आधारित स्त्रोतों से 500 गीगावाट ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य की प्राप्ति में राजस्थान बड़ी भूमिका निभाएगा। उन्होंने राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट जैसे महत्वाकांक्षी आयोजन के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की दूरदर्शिता की सराहना करते हुए कहा कि इस समिट के माध्यम से राजस्थान प्रदेश गुजरात तथा महाराष्ट्र के पश्चात् देश का तीसरी सबसे बड़ा आर्थिक एवं औद्योगिक रूप से विकसित राज्य बनने जा रहा है।
राजस्थान न केवल ऊर्जा में आत्मनिर्भर बने बल्कि सरप्लस स्टेट भी बने
सेशन के दौरान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि हम चाहते हैं कि राजस्थान न केवल ऊर्जा में आत्मनिर्भर बने बल्कि सरप्लस स्टेट भी बने। उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में केंद्रीय उपक्रमों के साथ लगभग 4 लाख करोड़ रुपये के एमओयू किए गए हैं। इनमें से लगभग 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपये के एमओयू के क्रियान्वयन के लिए संयुक्त उद्यम की स्थापना को मंत्रिमण्डल से स्वीकृति भी दी जा चुकी है। हमारा प्रयास अगले 4 साल में राज्य की नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता 30 से बढ़ाकर 125 गीगावाट करना है। इसके लिए हमारी सरकार अक्षय ऊर्जा आधारित परियोजनाओं के साथ पंप स्टोरेज तथा बैटरी स्टोरेज जैसे नवाचारों को भी अपना रही है। राजस्थान के पास 30 हजार मेगावाट अक्षय ऊर्जा की क्षमता
ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हीरालाल नागर ने कहा कि नवंबर 2024 तक राजस्थान ने 30 हजार मेगावाट अक्षय ऊर्जा की स्थापित क्षमता हासिल कर ली है। राज्य में मौजूद नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों की अनुमानित क्षमता 426 गीगावाट है, जो देश के उपलब्ध संसाधनों का 26 प्रतिशत है। हमारा लक्ष्य राजस्थान को देश का नवीकरणीय ऊर्जा हब बनाना है। अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा आलोक ने कहा कि राजस्थान में 10.5 गीगावाट क्षमता की 8 सोलर पार्क परियोजनाओं पर तेज गति से काम चल रहा है।