Opinion : वैश्विक मापदंडों पर खरी उतर रहीं भारतीय प्रतिभाएं
भारतीय प्रतिभाएं दुनिया भर में लोहा मनवा रही है। हाल ही जारी की गई इंडिया स्किल रिपोर्ट इस दृष्टि से और सुखद संकेत दे रही है जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2025 में 55 प्रतिशत भारतीय स्नातकों को वैश्विक स्तर पर रोजगार मिलने की संभावना है। यह आंकड़ा वर्ष 2024 के मुकाबले 4 फीसदी […]
भारतीय प्रतिभाएं दुनिया भर में लोहा मनवा रही है। हाल ही जारी की गई इंडिया स्किल रिपोर्ट इस दृष्टि से और सुखद संकेत दे रही है जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2025 में 55 प्रतिशत भारतीय स्नातकों को वैश्विक स्तर पर रोजगार मिलने की संभावना है। यह आंकड़ा वर्ष 2024 के मुकाबले 4 फीसदी ज्यादा है। इंजीनियरिंग, एमबीए और एमसीए के छात्रों की मांग दुनियाभर में बढ़ी है। महाराष्ट्र, कर्नाटक व दिल्ली जैसे राज्य रोजगार योग्य प्रतिभाओं के प्रमुख केंद्र के रूप में उभरे हैं। प्रतिभाओं के मामले में भारत के बढ़ते कदम दुनिया को न सिर्फ चौंका रहे हैं बल्कि भारत के करोड़ों लोगों की मेहनत और सामथ्र्य का परिचय भी दे रहे हैं। अमरीका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के प्रशासन में भी भारतवंशी काश पटेल, विवेक रामास्वामी, तुलसी गबार्ड और जय भट्टाचार्य के बाद अब हरमीत ढिल्लों को भी बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें अमरीकी कानून विभाग में नागरिक अधिकारों के लिए अटॉर्नी जनरल बनाया गया है। यह अमरीकी प्रशासन और राजनीति में भारतीयों के बढ़ते प्रभाव को बता रहा है।
इंडिया स्किल रिपोर्ट भी बताती है कि वैश्विक कार्यबल की मांग को पूरा करने में भारत की भूमिका तेजी से बढ़ी है। साथ ही यह भी कि भारतीय युवाओं की कार्यक्षमता वैश्विक मापदंडों पर खरी उतर रही है। ऐसा भी नहीं है कि भारतीय युवा सिर्फ विदेश में ही जाकर सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं बल्कि देश में भी सफलता की नई ऊंचाई छू रहे हैं। वर्ष 2024 के पहले 9 माह के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि अमरीका जाने वाले छात्रों की संख्या में करीब 38 फीसदी की कमी आई है। इसका एक प्रमुख कारण है कि अब देश में अवसर बढ़े हैं और भारतीय युवा देश में ही सफलता की नई इबारत लिख रहे हैं। स्टार्टअप और टेक कंपनियों की सफलता दुनिया को भारतीय प्रतिभा से परिचय करा रही है। इसके बावजूद अब हमें विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए वैश्विक चुनौतियों का भी सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। इसके लिए दुनिया की बदलती जरूरतों और उनके निरंतर मूल्यांकन की आवश्यकता होगी। इसमें सर्वाधिक प्रभावी भूमिका युवाओं की होगी।
उच्च शिक्षा संस्थानों का विस्तार, कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में तेजी से आगे बढऩा होगा। शोध और नवाचार के नए रास्ते तलाशने होंगे ताकि देश के युवा वैश्विक स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखा सकें। वैश्विक स्तर पर सफलता से हमारी पहचान होगी तो निश्चित रूप में युवाओं के साथ हमारी संस्कृति और परंपराएं भी दुनिया में कोने-कोने में पहुंचेगी। यह सफलताएं और परंपराएं निश्चित रूप से हमें गौरवान्वित करेंगी।
Hindi News / Prime / Opinion / Opinion : वैश्विक मापदंडों पर खरी उतर रहीं भारतीय प्रतिभाएं