scriptWorld Nurses Day : क्या गुजरी होगी महिला नर्स के दिल पर…? जब अपने ससुर का शव मोर्चरी में रखा | heart of the female nurse...? When dead body of his father-in-law was kept in mortuary | Patrika News
जयपुर

World Nurses Day : क्या गुजरी होगी महिला नर्स के दिल पर…? जब अपने ससुर का शव मोर्चरी में रखा

World Nurses Day : एसएमएस में इलाज के दौरान ससुर की मौत हो गई थी। खुद ने ही ससुर के शव को मोर्चरी में रखा फिर फर्ज पूरे किए।

जयपुरMay 12, 2023 / 04:40 pm

Navneet Sharma

World Nurses Day: File

World Nurses Day: File

World Nurses Day : नर्सेज को स्वास्थ्य सेवा के पेशे में खुशियों के साथ-साथ कई अहम चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। ये अस्पताल में मरीज के इर्द-गिर्द रहते हैं और एक मां, बहन, भाई, परिजन के रुप में सेवा देते हैं। साथ ही मरीजों के बाहरी जख्म से लेकर उनकी संवेदनाओं पर भी मरहम लगाते हैं। इतना ही नहीं, हर रिश्ते को बेखूबी से निभाते भी हैं। खास बात है कि नर्सेज घर के साथ परिवार के बीच तालमेल बनाकर चलते हैं। बुलंद हौंसले की बदौलत इन्होंने कोरोना जैसी कठिन घड़ी में खुद को मजबूत रखा और कार्यक्षेत्र पर डटे रहे। यूं तो सभी नर्सेज उल्लेखनीय सेवाएं दे रहे हैं। विश्व नर्सेज दिवस पर राजस्थान पत्रिका ने नर्सिंग के क्षेत्र में चुनौतीपूर्ण कार्य कर रहे कुछ नर्सेज से बातचीत की।

यह भी पढ़ें

लाल डिब्बे में मिले मोहर लगे नोटों ने दशकों से भूले इस Letter box को फिर से दिलाया याद

पिता को छुट्टी नहीं मिली, रातभर मोर्चरी में रखा शव

एसएमएस अस्पताल की मोर्चरी में कार्यरत महिला नर्सेज मेनका खर्रा बताया कि उसे पहली पोस्टिंग मोर्चरी में ही मिली थी। कई दिनों तक समझ नहीं सकी क्या हो रहा है। घर में भी नहीं बताया कहां ड्यूटी दे रही हूं। जैसे-जैसे समय गुजरा सब ठीक हो गया। आज खुद पर गर्व करती हूं। मेनका ने बताया कि कोरोना काल का मंजर जब भी याद आता है तो नींद उड़ जाती है। पति सेना में है। एसएमएस में इलाज के दौरान ससुर की मौत हो गई थी। खुद ने ही ससुर के शव को मोर्चरी में रखा फिर फर्ज पूरे किए।

यह भी पढ़ें

कितने आदमी थे… लुटेरे 2 और कर्मचारी 5 फिर भी 6 लाख रुपए की हो गई लूट…!

अनजान लोगों की सेवा में जुटे रहना जुनून

वरिष्ठ नर्सिंग कर्मी बदलेव चौधरी स्वास्थ्य सेवा के अलावा मरीजों की देखभाल और मानवता की सेवा में भी जुटे रहते हैं। करीब दो दशक से सेवा का उनका यह सिलसिला जारी है। लावारिस मरीज को छुट्टी मिलने तक देखभाल, दवा, भोजन की पूरी जिम्मेदारी परिवार के सदस्य की तरह निभाते हैं। ये बताते हैं कि अब तक सैकड़ों मरीजों की सेवा कर चुके हैं। उनके इस काम में सहकर्मियों के साथ ही चिकित्सक व समाजसेवी भी सहयोग कर रहे हैं। इस कार्य के लिए उन्हें वर्ष 2014 में राष्ट्रपति पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।

यह भी पढ़ें

प्रचंड Heatwave में झुलसने लगा राजस्थान, तपतपाती गर्मी में बाजार और सड़कें भी सुनसान

एकबारगी तो सदमे में चला गया था

एसएमएस अस्पताल के इमरजेंसी के इंचार्ज घनश्याम मीणा (56) ढाई दशक से अस्पताल में सेवाएं दे रहे हैं। मीणा ने बताया कि जयपुर बम धमाके का मंजर वो कभी भूल नहीं पाएंगे। हर जगह खून फैला था, लोगों के हाथ कट गए, शरीर के टूकड़े पड़े थे। बड़ी मुश्किल से काम कर पाया। एक बारगी तो सदमे में चला गया था फिर इमरजेंसी में ही ड्यूटी करनी की ठानी। पहले यहां सैकण्ड ग्रेड नर्सिंगकर्मी बनकर सेवाएं देता रहा, अब इंचार्ज बन गया हूं।

Hindi News / Jaipur / World Nurses Day : क्या गुजरी होगी महिला नर्स के दिल पर…? जब अपने ससुर का शव मोर्चरी में रखा

ट्रेंडिंग वीडियो