अरावली पहाडिय़ों के बीच स्थित अलवर जिले का भानगढ़ किला सबसे डरावनी जगहों में से एक है। यह किला स्थानीय और विदेशी पर्यटकों को समान रूप से अपनी ओर आकर्षित करता है। इस किले को दिन में देखने में कोई मनाही नहीं है, लेकिन रात में यहां आने पर बैन लगा हुआ है। इसके खंडहर अतीत की याद दिलाते है। कहा जाता है कि सालों पहले एक जादूगर ने इस जगह को श्राप दिया था जिसके बाद यह जगह खंडर होती चली गई थी। यह भी कहा जाता है कि रात में इस किले में भूतों का साया रहता है, इसलिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने सूर्यास्त के बाद इस किले में प्रवेश पर आधिकारिक तौर पर प्रतिबंध लगा रखा है। यह भी कहा जाता है कि रात में यहां चिल्लाने और रोने की आवाजें भी सुनाई देती हैं। इस किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य के एक सेनापति, अंबर के मान सिंह के भाई राजा माधो सिंह द्वारा किया गया था।
कुलधरा जैसलमेर से लगभग 17 किलोमीटर पश्चिम में स्थित एक निर्जन गांव है। यहां सदियों पहले लोग रहते थे, लेकिन अब यह विरान पड़ा है। 1291 में, पालीवाल ब्राह्मणों ने इस गांव का निर्माण किया था और रेगिस्तान में फसल उगाने में उनके कौशल ने इसे एक समृद्ध स्थान बना दिया। लेकिन एक रात, 1825 में, कुलधरा के ग्रामीण, 83 पड़ोसी बस्तियों के साथ, बिना किसी को बताए और निशान के गायब हो गए। आज तक यह पता नहीं चल सका कि वे लोग कहां गए क्योंकि किसी ने उन्हें जाते हुए नहीं देखा था। समय के साथ चली आ रही कहानियों में कहा गया है कि एक अन्यायी मंत्री सलीम सिंह ने ग्रामीणों के साथ कू्रर व्यवहार किया था। कहा जाता है कि यह मंत्री गांव के मुखिया की बेटी से शादी करना चाहता था। हालांकि, मुखिया इसके लिए राजी नहीं था। अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए मंत्री ने गांव वालों को धमकाना शुरू कर दिया कि अगर शादी नहीं हुई तो गांव वालों पर कई तरह के कर लगए दिए जाएंगे। इससे डरकर ग्राम प्रधान और 84 पड़ोगी गांव के लोगों ने कुलधरा छोडऩे का फैसला किया। कहा जाता है कि जैसे ही लोगों ने इस जगह को छोड़ा, यह श्रापित हो गई। उसके बाद से आज तक इस गांव में कोई नहीं रहता। यहां बिना छतों के घर, खाली पड़ी सड़कें और मुट्ठी भर मंदिर इस जगह की गवाही देते हैं।
राजस्थान में पुष्कर बाईपास पर स्थित सुधाबाई वास्तव में कोई भुतहा जगह नहीं है। लेकिन अगर आप साल में किसी खास दिन यहां आते हैं, तो यह जगह निश्चित रूप से आपको डरा देने वाली साबित हो जाएगी। यहां एक ‘भूत मेला’ आयोजित किया जाता है, जब देश के विभिन्न हिस्सों से लोग बुरी आत्माओं से छुटकारा पाने के लिए आते हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि आप पवित्र कुएं में स्नान करते हैं तो बुरी आत्माएं आपको माफ कर देंगी।
चित्तौडग़ढ़ किले के अंदर स्थित, राणा कुंभा पैलेस का अतीत डरावना है। इसका इतिहास 14वीं सदी में दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी और मेवाड़ साम्राज्य के महाराजा राणा रतन सिंह के बीच हुए युद्ध से जुड़ा है। किंवदंती के अनुसार, जब अलाउद्दीन खिलजी ने राणा रतन सिंह को युद्ध के मैदान में हराया और महल पर हमला किया, तो रानी पद्मिनी और 700 महिला अनुयायियों ने अपने सम्मान की रक्षा के लिए जौहर (आत्मदाह) किया। सदियों बाद भी इस महल में आने वाले पर्यटकों ने महिलाओं की चीखें सुनी हैं। लोगों ने जले हुए चेहरे वाली पारंपरिक शाही पोशाक में एक महिला को देखने की भी चर्चा की है। आगंतुकों ने मदद के लिए पुकारने वाली आवाजें भी सुनी हैं।