बेनीवाल ने यह बातें मंगलवार को लोकसभा में ओबीसी की सूची तैयार करने के अधिकार राज्यों को सौंपने के विधेयक की चर्चा में भाग लेते हुए कही। उन्होंने विधेयक को समर्थन देते हुए सरकार की कई नीतियों पर सवाल खड़े किए। बेनीवाल ने कहा कि बहुत बड़े संघर्ष के बाद सामाजिक न्याय के पुरोधा इस देश में मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करवा पाए। मंडल आयोग में 27 फीसदी आरक्षण की बात की गई थी, लेकिन दो दशक से अधिक बीतने पर भी ओबीसी वर्ग का सरकारी सेवाओं में प्रतिनिधित्व करीब 20 फीसदी तक ही पहुंचा है।
सांसद ने कहा कि राजस्थान में भाजपा शासन में गुर्जर आंदोलन मे पुलिस की गोली से 70 गुर्जर, हरियाणा जाट आरक्षण में सेना व पुलिस की गोलियो से 40 से अधिक युवाओं की मौत हुई। चुनाव के समय विभिन्न सरकारों ने आरक्षण के झूठे वादे भी जनता से किए। उन्होंने धौलपुर और भरतपुर के जाट समाज सहित 9 राज्यों के जाटो को केंद्र की नौकरियो में आरक्षण देने के वादे को निभाने की मांग प्रधानमंत्री से की।
उन्होंने कहा कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने अधिसूचना जारी कर बिहार, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान में धौलपुर-भरतपुर जिला और उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के जाटों को केंद्रीय नौकरियों में ओबीसी आरक्षण दिया था। इन 9 राज्यों के जाटों को केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल कर लिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिसूचना को रद्द कर दिया। इस विषय पर भी केंद्र को राह निकालकर जाटों को आरक्षण देने की जरूरत है।