-अभी कंपनियों को बिजली ट्रांसमिशन चार्ज के 1.10 रुपए प्रति यूनिट देने पड़ रहे हैं। इसके जरिए करोड़ों रुपए सालाना के दे रहे हैं।
-जितनी भी बिजली बैंकिंग की जाती है, उसका 10 प्रतिशत हिस्सा डिस्कॉम लेता है। ड्राफ्ट पॉलिसी के तहत इसे देना नहीं होगा।
चर्चा है कि ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट लगाने के लिए कई बड़ी कंपनियां पहले से ही होमवर्क कर रही है। यदि ये प्लांट लगाती हैं तो ये पहली तीन कंपनियों में शामिल होकर बड़ी छूट का फायदा लेंगी।
ग्रीन हाइड्रोजन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है। भारी उद्योगों को कार्बन मुक्त करने में मददगार साबित होने का दावा किया जा रहा है। स्टील और आयरन सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्री में शामिल है। भारत में प्रदूषण नियंत्रण के लिहाज से यह बड़ी सफलता होगी।
बिजली जब पानी से होकर गुजारी जाती है तो हाइड्रोजन पैदा होती है। इस हाइड्रोजन का इस्तेमाल ज्यादतर इण्डस्ट्रीज में होता है। यदि हाइड्रोजन बनाने में इस्तेमाल होने वाली बिजली अक्षय ऊर्जा से ले रहे हैं तो इससे प्रदूषण नहीं होता। इस तरह बनी हाइड्रोजन को ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है।
-1 किलो हाइड्रोजन बनाने के लिए 50 यूनिट बिजली चाहिए
-25 मेगावाट क्षमता का प्लांट चाहिए एक किलो टन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए
-269 गीगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता है राजस्थान में