आयकर जटिलताओं को खत्म करें सरकार, नए स्लैब की मांग
भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल ने आयकर कानून के नियमों में संशोधन के साथ—साथ नए स्लैब कानून बनाने की मांग की है। मण्डल के राष्ट्रीय चेयरमेन बाबूलाल गुप्ता का कहना है कि नई आयकर प्रणाली में चैप्टर 6 के तहत दिए जाने वाले डिडक्शन को समाप्त किए जाने की जरूरत है। धारा 80जी के तहत कटौती की सीमा को बढ़ाकर 2.50 लाख किया जाना चाहिए। कराधान की सीमा की पुरानी व्यवस्था में और स्लैब निर्धारित किए जाने चाहिए। गुप्ता ने कहा कि दस करोड़ का कारोबार करने वाला विक्रेता 0.1 प्रतिशत टीसीएस और माल खरीद करने वाला 0.1 प्रतिशत टीडीएस देता है। यह प्रावधान समाप्त किए जाने की आवश्यकता है, क्योंकि दोनों ही व्यक्ति क्रेता एवं विक्रेता आयकर में पंजीकृत है। वेतनभोगी कर्मचारी का स्टैण्डर्ड डिडक्शन भी 50,000 से बढ़ाकर 1,00,000 रुपए किया जाना चाहिए।
आयकर पोर्टल पर शिकायतों का तुरन्त समाधान जरूरी आयकर पोर्टल पर समस्याओं के निराकरण के लिए सक्षम अधिकारी की ड्यूटी सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि शिकायतों का समाधान तुरन्त किया जाए। धारा 154 के अन्तर्गत एप्लीकेशन लगाने की व्यवस्था विभागीय पोर्टल पर की जाए। दस वर्षों में से तीन वर्षों के लिए योग्य स्टार्टअप्स के लिए कटौती की अनुमति है, इसे लगातार पांच साल किया जाना चाहिए।
रेक्टिफिकेशन की विन्डो बनाई जाए गुप्ता ने कहा कि आयकर पोर्टल पर रेक्टिफिकेशन की विन्डो हो तथा रेक्टिफिकेशन की रिप्लाई के लिए निर्धारित 500 शब्दों की सीमा को हटाया जाना चाहिए। टीडीएस की रिटर्न को संशोधित करने के लिए चालाना जमा करवाने के बाद इसमें चार से पांच दिन लगते हैं, इसमें सुधार होना चाहिए। टीडीएस साइट जीएसटी की तरह उपयोगकर्त्ता के अनुकूल एवं उपयोग में आसान होनी चाहिए। डिविडेन्ड प्राप्तकर्त्ता के बजाय कंपनी से ही वसूला जाए। सरकार टीडीएस की कटौती सीमा को बढ़ाए।