राजस्थान में सरकारी स्कूलों का हाल बुरा, नामांकन में आई भारी गिरावट, जानिए स्कूलों के ये चिंताजनक आंकड़े
Rajasthan News : राजस्थान में बीते दो सत्रों में देखें तो स्कूलों के नामांकन में भारी गिरावट देखने को मिली है। 2021-22 में जहां स्कूलों का नामांकन 98 लाख पहुंच गया था, वहीं 2023-24 में नामांकन करीब 81 लाख रह गया। ऐसे में दो सत्रों में सरकारी स्कूलों का करीब 17 लाख नामांकन गिर गया है। सरकारी स्कूलों के ये अनेक प्रकार के आंकड़े जानकर आपको हैरानी होगी।
विजय शर्माEducation Department Rajasthan : शिक्षा विभाग नए सत्र में नामांकन बढ़ाने पर जोर कर रहा है। इसके लिए घरों से लेकर सोशल मीडिया तक सरकारी स्कूल प्रचार कर रहे हैं, लेकिन बीते दो सत्रों में देखें तो स्कूलों के नामांकन में भारी गिरावट देखने को मिली है। 2021-22 में जहां स्कूलों का नामांकन 98 लाख पहुंच गया था, वहीं 2023-24 में नामांकन करीब 81 लाख रह गया।
ऐसे में दो सत्रों में सरकारी स्कूलों का करीब 17 लाख नामांकन गिर गया है। पिछले सत्र 2022-23 नामांकन 90 लाख था। ऐसे में 2023-24 में करीब नौ लाख नामांकन की कमी आ गई। जयपुर की बात करें तो 2022-23 के मुकाबले सत्र 2023-24 में सरकारी स्कूलों में 12.33 फीसदी नामांकन की गिरावट आई है।
हर साल शिक्षा विभाग की ओर से 10 फीसदी नामांकन वृद्धि का लक्ष्य रखा जाता है, लेकिन हर साल करीब 10 फीसदी तक गिरावट देखने को मिल रही है। वहीं, दूसरी ओर सरकारी स्कूलों में नामांकन कम होने का प्रमुख कारण शिक्षकों की कमी बताई जा रही है। स्कूलों में आज भी शिक्षकों के एक लाख से अधिक पद खाली चल रहे हैं।
माध्यमिक शिक्षा में पदों की वर्तमान स्थिति
पदनाम
स्वीकृत
कार्यरत
रिक्त
प्रधानाचार्य
17871
10765
7106
उप प्रधानाचार्य
12404
396
12008
व्याख्याता
55081
33961
21120
वरिष्ठ अध्यापक
85468
52384
33104
अध्यापक
98446
68174
30272
शारीरिक शिक्षक
15500
10200
5300
बेसि.क.अध्यापक
9862
5212
4650
चतुर्थ श्रेणी
26818
6186
20632
पिछले सालों में नामांकन
सत्र – नामांकन कमी या वद्धि
2020-21 – 88 लाख 8 लाख प्लस 2021-22 – 98 लाख 10 लाख प्लस 2022-23 – 90 लाख -8 लाख 2023-24 – 81 लाख -9 लाख
कोरोनाकाल के बाद बढ़ा था
सरकारी स्कूलों में कोरोनाकाल के बाद सत्र 2021-22 में अचानक नामांकन बढ़ा गया था। फीस विवाद के चलते प्रदेश के अभिभावकों ने बच्चों का प्रवेश सरकारी स्कूलों में करा लिया था। इसके चलते सरकारी स्कूलों का नामांकन बढ़ गया था। बाद में वापस बच्चे निजी स्कूलों की ओर से रुख कर गए।
घटने के कारण
पदरिक्तता का बढ़ता ग्राफ स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा नहीं विद्यालय क्रमोन्नति के दो साल बाद भी व्याख्याता पदों की स्वीकृति नहीं अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम का अलग से कैडर नहीं, अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं
इन जिलों में सबसे अधिक गिरावट
दौसा करौली सीकर झुंझुनूं जयपुर
इनका ये कहना
क्रमोन्नत विद्यालयों में दो सत्र बाद भी पद स्वीकृत नहीं करने, डीपीसी व स्टाफिंग पैटर्न को समय पर नहीं करने और पदरिक्तता के बढ़ते ग्राफ के कारण सरकारी विद्यालयों के नामांकन में कमी आ रही है। सरकार की ओर से क्रमोन्नत विद्यालयों में व्याख्याता पद स्वीकृत किए जाकर सीधी भर्ती व पदोन्नति से भरे जाने चाहिए। पिछले 4 सत्र से बकाया चल रही डीपीसी व स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा की जाए तो पदरिक्तता की समस्या से भी निजात मिलने के साथ ही सरकारी विद्यालयों के नामांकन में भी वृद्धि हो सकती है।