माना जा रहा है कि प्रदेश में अनुसूचित जाति उप योजना (एससीएसपी) एवं अनुसूचित एवं अनुसूचित जनजाति उपयोजना को लागू हुए 40 वर्ष होने के बावजूद इन वर्गों का उत्थान नहीं हुआ है। इसके लिए यह बिल लाया जा रहा है। इसके लिए सरकार ने लोगों से 31 जनवरी तक सुझाव भी मांग लिए हैं। इस बिल में प्रावधान किया जाएगा कि अनुसूचित जाति उपयोजना के तहत अनुसूचित उपयोजना और अनुसूचित जनजाति विकास निधि सहित जनजाति उपयोजना के तहत कुल आवंटन राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की अनुपूरक आबादी से कम नहीं हो। विधेयक में कहा गया है कि राजस्थान राज्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के त्वरित विकास के लिए सामुदायिक कमियों को चिन्हित कर उनका विकास करना है।
बिल लाने पर ऐसे बढ़ा काम
एआईसीसी के अनुसूचित जाति-जनजाति विभाग के. अध्यक्ष के. राजू हाल ही प्रदेश के दौरे पर आए थे। पहले उन्होंने कांग्रेस संगठन के सदस्यता अभियान के साथ ही एससी-एसटी प्रकोष्ठ व अन्य की बैठक ली। उसमें इस बिल को लेकर बताया। बाद में वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रमुख वित्त सचिव अखिल अरोड़ा से मिले। बताया जा रहा है कि उनकी यह मुलाकात इस बिल के प्रावधानों को लेकर हुई। के. राजू पूर्व आईएएस अधिकारी हैं और आन्ध्र प्रदेश सरकार में प्रमुख सचिव रहे हैं। बाद में सेवानिवृति ले ली। वे इस तरह का बिल आन्ध्र प्रदेश में लागू का चुके हैं। इसके अलावा इसी तरह तेलगांना और तमिलनाडु में भी लागू होना बताया जा रहा है। कांग्रेस की पंजाब में भी तैयारी थी, लेकिन विधानसभा चुनाव आचार संहिता लागू होने के चलते लागू नहीं कर सकी।