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जयपुर

ऑन नहीं ऑफलाइन ही है सिस्टम…मरीजों को कतारों से राहत नहीं, क्या यह मानवाधिकारों का हनन नहीं?

सरकार भले ही अस्पतालों में मरीजों की समस्याएं और कतारें खत्म करने के दावे करती आ रही हैं, लेकिन स्थिति इसके विपरीत है। मरीजों को ओपीडी पंजीकरण से लेकर दवा लेने, जांच करवाने, रिपोर्ट लेने, भर्ती और छुट्टी लेने के लिए भी कई घंटे कतारों में जूझना पड़ रहा है।

जयपुरMar 03, 2024 / 11:26 am

Suman Saurabh

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जयपुर। राज्य सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के कारण बीते एक दशक के दौरान सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या तीन गुना तक बढ़ गई है। सरकार भले ही अस्पतालों में मरीजों की समस्याएं और कतारें खत्म करने के दावे करती आ रही हैं, लेकिन स्थिति इसके विपरीत है। मरीजों को ओपीडी पंजीकरण से लेकर दवा लेने, जांच करवाने, रिपोर्ट लेने, भर्ती और छुट्टी लेने के लिए भी कई घंटे कतारों में जूझना पड़ रहा है।

सवाई मानसिंह अस्पताल के आउटडोर में रोजाना 10 हजार से ज्यादा मरीज पहुंचते हैं। यहां मरीज को ओपीडी ब्लॉक में पंजीकरण के लिए एक घंटे तक कतार में जूझना पड़ रहा है। इसके बाद डॉक्टर से परामर्श के लिए एक से दो घंटे इंतजार करना पड़ता है। अस्पताल इतने भी हाईटेक नहीं हैं कि, मरीजों को कतार में लगाने के बजाय टोकन नंबर या ऑनलाइन डिस्प्ले नंबर की व्यवस्था कर दी जाए। ताकि मरीज व उसके परिजन बैठकर इंतजार कर सके।

 


दवा वितरण केंद्र और जांच केंद्रों के बाहर भी दिक्कतें हैं। जांच रिपोर्ट के लिए भी इंतजार करना पड़ता है। जांच रिपोर्ट ऑनलाइन भी उपलब्ध है। परामर्श पर्ची पर वेबसाइट की जानकारी अंकित है, लेकिन ऑनलाइन रिपोर्ट निकालना आसान नहीं है। भर्ती मरीजों को भी रेफरेंस, दवा और जांचों के लिए भटकना पड़ रहा है। जगह-जगह पर्ची बनवानी पड़ रही है।

 

एसएमएस अस्पताल में कतारें खत्म करने के लिए बीते एक दशक में कई योजनाएं बनीं। ई-मित्र पर ओपीडी पंजीकरण, ऑनलाइन अपॉइंटमेंट की कोशिश भी हो चुकी है। अक्टूबर-2022 में इंटीग्रेटेड हेल्थ मैनेजमेंट सिस्टम (आइएचएमएस) लागू किया गया था, ताकि ओपीडी पंजीकरण, डॉक्टर से परामर्श, जांच, दवा, भर्ती, डिस्चार्ज समेत पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हों। ये सुविधाएं अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई हैं। सिस्टम में हार्डवेयर, नेटवर्किंग जैसी तकनीकी खामियां भी रोजाना बनी रहती हैं।

 

दावा किया गया था कि ओपीडी में आने वाले मरीज की पूरी कुंडली ऑनलाइन होगी। इसके लिए अस्पताल की प्रत्येक ओपीडी, वार्ड, ओटी, आइसीयू और इमरजेंसी में रेजिडेंट व नर्सिंग स्टाफ को भी टेबलेट दिए जाने थे। जिससे वे भी दवा, इलाज, जांच और रिपोर्ट की जानकारी ऑनलाइन देख सकें। लेकिन यह व्यवस्था भी आधी-अधूरी ही रही। अभी तक कुछ डॉक्टरों को ही टेबलेट दिए गए हैं।

 

आइएचएमएस सिस्टम के लिए अस्पताल के ओपीडी ब्लॉक, आइसीयू, वार्ड और ऑपरेशन थियेटर में इंटरनेट की मुफ्त सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए 200 से ज्यादा स्थान चिन्हित कर वाई-फाई डिवाइस लगाए गए। इनमें से कुछ चालू हैं तो कई शुरू ही नहीं हुए।

 

पंजीकरण के दौरान सॉफ्टवेयर में आए दिन जनाधार और आधार कार्ड वैध नहीं बताने की शिकायतें मिल रही हैं। जिससे मरीजों को परामर्श से भी वंचित होना पड़ रहा है। लैब में भी कई जांचों की रिपोर्ट पेंडिंग दिखती रहती हैं। भर्ती व डिस्चार्ज के दौरान सर्वर धीमा चलने की समस्या आम हो गई हैं।

 

ऑनलाइन सुविधाओं पर लगातार काम चल रहा है। हालांकि लंबी कतारें अब भी चुनौती हैं। इतने बड़े अस्पताल में रोजाना हजारों मरीज आ रहे हैं। ऐसे में व्यापक प्लान और समयबद्ध हाईटेक सुविधाओं की योजना पर काम कर रहे हैं।

– डॉ.अचल शर्मा, अधीक्षक, सवाई मानसिंह अस्पताल

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