संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) महेन्द्र जैन ने बताया कि गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना का मुख्य उद्देश्य रासायनिक खादों से होने वाले दुष्प्रभावों को कम करते हुए मिट्टी की उर्वरता बढ़ाना, जैविक खेती को बढ़ावा देना और किसानों को पशुओं के कचरे से जैविक खाद उत्पादन के लिए प्रेरित करना है। इससे किसानों को आर्थिक लाभ के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी।
इस योजना का लाभ केवल राजस्थान के स्थायी निवासियों को मिलेगा, जिनके पास कम से कम पांच गोवंश होंगे। किसानों को अपने खेत में 20 फीट लंबी, तीन फीट चौड़ी और ढाई फीट गहरी वर्मी कम्पोस्ट यूनिट बनानी होगी। हर यूनिट में 8 से 10 किलों केंचुए छोडऩे की व्यवस्था किसानों को स्वयं करनी होगी।
राज्य के 378 ब्लॉक में 18,900 किसान इस योजना से लाभान्वित होंगे जिनमें 12,627 सामान्य श्रेणी के, 3,202 अनुसूचित जाति के और 3,071 अनुसूचित जनजाति के किसान शामिल हैं। योजना के तहत जिले के लिए 30 लाख रुपए का बजट निर्धारित किया गया है।
सरकार का यह प्रयास किसानों को पारंपरिक खेती के अलावा जैविक खेती की ओर प्रोत्साहित करेगा। इससे न केवल उपजाऊपन में वृद्धि होगी, बल्कि लंबे समय में पर्यावरणीय संतुलन भी स्थापित हो सकेगा। साथ ही योजना के लाभ के लिए पांच गोवंश की अनिवार्यता से गो-पालन व गो-संरक्षण में वृद्धि होगी।