नए आदेश में संशोधन करते हुए, अब कार्मिक विभाग ने स्पष्ट किया है कि परिनिंदा के दंड के कारण कर्मचारियों की पदोन्नति में कोई रोक नहीं लगेगी। इसका मतलब है कि अब कर्मचारी अपनी अनुशासनहीनता के बावजूद, पदोन्नति के लिए पात्र रहेंगे। यह संशोधन कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत का काम करेगा और उनके मानसिक दबाव को भी कम करेगा।
गौरतलब है कि इस आदेश का प्रभाव तत्काल लागू होगा। यदि वर्ष 2024-25 की पदोन्नति प्रक्रिया यानी डीपीसी अभी बाकी है, तो यह नया नियम उस पर भी लागू होगा। हालांकि, जो बकाया पदोन्नति प्रक्रियाएँ या रिव्यू डीपीसी पहले से निर्धारित हैं, उनके लिए पूर्व के नियम लागू रहेंगे। अर्थात्, परिनिंदा के कारण इन प्रक्रियाओं में पदोन्नति एक वर्ष के लिए स्थगित की जाएगी।
इस निर्णय का स्वागत करते हुए अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ और राजस्थान राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री देवेंद्र सिंह नरूका ने कार्मिक विभाग का आभार जताया है। उन्होंने इस बदलाव को कर्मचारियों के हित में एक सकारात्मक कदम बताया है, जिससे उन्हें अपनी सेवा में अधिक आत्मविश्वास और उत्साह मिलेगा।