कम्पोजिट स्कूल ग्रांट की राशि का उपयोग विभिन्न सामग्री मंगवाने और उन्हें सुधारने में किया जाता है। विद्यालय के छोटे उपकरणों को बदलने के लिएए दरी पट्टी मरम्मत या खरीदने के लिएए ब्लैक बोर्ड की मरम्मत, रंगरोगन, स्टाफ की फोटो युक्त आईडी विवरण, परीक्षा संबंधी स्टेशनरी खरीदने, पेयजल व्यवस्था और विद्युत व्यय पर खर्च, एक दैनिक समाचार पत्र अनिवार्य, विज्ञान गणित की प्रयोगात्मक सामग्री को बदलने के लिए, प्रयोगशाला के उपकरणों की मरम्मत और नए उपकरणों की खरीद पर, खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन और उनके संबंधित का प्रमाण पत्रों के लिएए अग्निशमन यंत्र में गैस भरवाने के साथ ही विद्यार्थियों को अस्पताल ले जाने के किराए में, झाडू, मटका, बाल्टी आदि खरीद के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है।
कम ग्रांट से आती है परेशानी
उल्लेखनीय है कि कोई भी विद्यालय नामांकन की दृष्टिकोण से बड़ा हो अथवा छोटा लेकिन उन सभी में संस्था संचालन से संबंधित समस्त व्यय एक समान ही होता है ऐसे में कम ग्रांट होने से स्कूलों की व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हो पाता जिसका असर स्कूल के नामांकन पर पड़ता है। स्कूलों में मूलभूत सुविधा कम होने से अभिभावक अपने बच्चों को ऐसे स्कूल में एडमिशन नहीं दिलवाना चाहते जिससे स्कूलों का नामांकन नहीं बढ़ता। इसे देखते हुए अब शिक्षक संगठन कंपोजिट ग्रांट की राशि में बढ़ोतरी किए जाने की मांग कर रहे है। उनका कहना है कि 1 से 100 तक के नामांकन वाले विद्यालयों के लिए न्यूनतम 50 हजार रुपए,101 से 500 तक के नामांकन के लिए 75 हजारए 500 से 1000 तक के लिए 1 लाख और 1000 से ऊपर के नामांकन वाले विद्यालयों के लिए 1 लाख 50 हजार रुपए की राशि स्वीकृत किए जाने की मांग की है। जिससे सभी स्कूलों का समान रूप से विकास और व्यवस्थित संचालन हो सके। रजस्थान शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष सम्पत सिंह का कहना है कि यदि ऐसा होता है तो इससे स्कूलों में सुविधाएं बढ़ेगी और उनमें नामांकन में बढ़ोतरी हो सकेगी। राष्ट्रीय के प्रदेश महामंत्री अरविंद व्यास ने बताया कि इस मांग को लेकर संघ ने शिक्षामंत्री को पत्र लिखा है।
पैटर्न बदला, तो बदली कुल राशि
गौरतलब है कि शिक्षा परिषद पिछले शैक्षिक सत्र तक विद्यालय स्तर के अनुसार ग्रांट देता रहा है। इसमें प्राथमिक, उच्च प्राथमिक,माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर के साथ संस्कृत विद्यालय आदि के लिए ग्रांट निर्धारित थी। इस बार इनमें विद्यार्थियोंं की संख्या के आधार पर ग्रांट का प्रावधान तय किया है। ऐसे में यदि किसी उच्च प्राथमिक विद्यालय में उच्च माध्यमिक से अधिक विद्यार्थी हैं, तो उसे ग्रांट भी ज्यादा मिलेगी। जयपुर जिले के सभी एलीमेंट्री स्तर के विद्यालयों के लिए 7 करोड़ 80 लाख 20 हजार रुपए और सैकंडरी स्तर के विद्यालयों के लिए लगभग कुल 5 करोड़ 56 लाख की ग्रांट निर्धारित की गई थी।