गैस गीजर से अचेत हुए सेवानिवृत्त अध्यापक बालमुकुंद पाराशर ने जानकारी देते हुए बताया कि में अलसुबह बाथरूम में नहाने गया था हार्ट पेशेंट होने से में बाथरूम का अंदर से दरवाजा बंद नहीं करता। बुधवार अल सुबह में गीजर चलाकर नहाने के गया तो धीरे-धीरे मुझे घुटन महसूस होकर सांस लेने में दिक्कत होने लगी तो मैंने अपनी पत्नी व बच्चों को आवाज लगाई। इसके बाद मैं बाथरूम में अचेत हो गया। जब परिवारजनों को इसकी जानकारी हुई तो वो घबरा गए और तुरंत कोठियां में प्राथमिक उपचार करवा कर गुलाबपुरा चिकित्सालय ले गए। अस्पताल में उपचार के दौरान हालत में सुधार हुआ। समय रहते मालूम चल गई नही तो जनहानि हो जाती।
गीजर से कम हो जाती है ऑक्सीजन जानकारी के अनुसार गैस गीजर के बर्नर्स से पैदा होने वाली आग से ऑक्सीजन की खपत अधिक होती है। गीजर का बर्नर तभी जलता है, जब इसे ऑक्सीजन मिलती है। गैस गीजर के इस्तेमाल से कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। कार्बन मोनो ऑक्साइड भी बनती है। यह रंगहीन, गंधहीन और जहरीली होती है। यही गैस मौत का कारण बन जाती है। दिल और दिमाग को जरूरत के अनुसार, ऑक्सीजन न मिलने के कारण व्यक्ति बेहोशी में चला जाता है। उसकी मौत हो सकती है।