वहीं, याचिकाकर्ता को मौखिक रूप से चेताया कि यदि ठोस आधार नहीं बताया तो जनहित याचिका हर्जाने के साथ खारिज की जा सकती है। मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव व न्यायाधीश उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने सोमवार को गंगापुरसिटी विधायक रामकेश मीणा की जनहित याचिका पर सुनवाई की।
याचिकाकर्ता का वकील बोला- गंगापुरसिटी जिले का दर्जा समाप्त करना गलत
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सारांश सैनी ने कोर्ट को बताया कि गंगापुरसिटी को निर्धारित मापदंड के आधार पर जिला बनाया गया। राजनीतिक द्वेष के कारण अब कुछ जिलों का दर्जा समाप्त कर दिया, जिनमें गंगापुरसिटी भी शामिल है। सरकार ने इस जिले में कई प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति की। ऐसे में गंगापुरसिटी जिले का दर्जा समाप्त करना गलत है। याचिकाकर्ता से पूछा- जिला निरस्त क्यों हुआ, क्या जानकारी ली?
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि राज्य सरकार ने किस आधार जिला निरस्त किया, इस बारे में सूचना का अधिकार के तहत जानकारी ली जा सकती थी। याचिकाकर्ता ने यह जानकारी मांगने के लिए क्या किया?
इससे संबंधित कोई दस्तावेज याचिका के साथ नहीं लगाया गया। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या न्यायिक विवेक का इस्तेमाल कर जिला निरस्त किया?