गौरतलब है कि क्षेत्र में वन विभाग की ओर से वन्यजीव संरक्षण से संबंधित कार्य जैसे वॉटर पॉइंट, तलाई निर्माण, बोरवेल, सुरक्षा चौकी आदि कार्य करवाए जा रहे है। विभाग ने गलता के जंगल को बतौर जंगल कॉरिडोर विकसित करना शुरू कर दिया है। इससे राजधानी के वन अभयारण्य क्षेत्र भी आपस में जुड़ जाएगे। झालाना लेपर्ड जंगल सफारी के साथ अब गलता और नाहर$फ अभयारण्य का बीड पापड वन क्षेत्र सहित आमेर का वन क्षेत्र में वन्यजीवों का कुनबा बढ़ रहा है। ऐसे में वन विभाग ने पर्यटकों के लिए गलता में वन्यजीवों के संरक्षण पर कार्य कर रहा है।
बढ़ रहा है वन्यजीवों का कुनबा
राजधानी के झालाना,गलता और नाहरगढ़ सहित आमेर का वन क्षेत्र में पैंथर सहित अन्य वन्यजीवों का कुनबा बढ़ रहा है। नए पैंथर्स में लड़ाई के मामले भी सामने आ रहे हैं। इसको लेकर वन विभाग ने गलता जंगल में जंगल सफारी को विकसित करना शुरू कर दिया है। 16 वर्ग किमी में फैले गलता जंगल में 2 ट्रेक बनाए जा रहे हैं। जिसमें छोटे छोटे कुछ रूट भी बनाए जाएंगे। इसके अलावा वन्यजीवों के शिकार के लिए ग्रासलैंड विकसित होगा। साथ ही 10 से ज्यादा वॉटर पॉइंट,ट्यूबवेल,दीवार बनाने सहित वन्यजीवों के संरक्षण में कई कार्य किए जा रहे हैं। इसके साथ ही नाहरगढ़ के वन क्षेत्र को भी इसी प्रकार से विकसित किया जा रहा है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2022 में गलता में पर्यटकों को सफारी की सौगात मिल सकती है। वहीं पैंथर भी झालाना जंगल से गलता,नाहरगढ़,आमेर और अचरोल होते हुए सरिस्का तक जा सकेंगे। जानकारी के मुताबिक झालाना वन क्षेत्र 20 वर्ग किलोमीटर में फैला है, यहां 43 पैंथर्स विचरण कर रहे हैं वहीं 16 वर्ग किलोमीटर में फैले गलता के जंगलों में 16 पैंथर पाए जाते हैं। 55 वर्ग किलोमीटर में फैले नाहरगढ़ वन क्षेत्र में 20 से अधिक पैंथर हैं।