प्रांजल शर्मा ने बताया कि करीब दो साल पहले उसने सांभर की खबरें देखी। उसे जानकारी मिली कि वहां पर पानी की गुणवत्ता खराब होने के कारण सैकड़ों पक्षियों की मौत हो गई। इसके बाद उसने सांभर में पानी को लेकर रिसर्च किया। उसने वहां जाकर ग्राम चेतना केंद्र, खेड़ी मिलक से सहायता ली। जो सांभर में पानी की स्थिति सुधारने को लेकर कार्य करता है। इसके बाद मालूम चला कि सांभर का पानी पीने के लायक नहीं है। वहां के लोग दुषित पानी के कारण गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे है। फिर सर्च किया कि ऐसी कोई मशीन हो। जिसकी सहायता से शुद्ध पानी मिल सके। बहुत सर्च करने के बाद वायु जल जेनरेटर के बारे में जानकारी मिली।
11 लाख रुपए जुटाने के लिए चलाया कैंपेन.. प्रांजल शर्मा ने बताया कि वह जिस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। उसका नाम आकाश गंगा है। इस प्रोजेक्ट के तहत उन्होंने वायुजल मशीन की तलाश तो कर ली। लेकिन अब इसे खरीदने के लिए उन्हें करीब 11 लाख रुपए की जरूरत थी। इस मशीन को खरीदना था। क्योंकि इससे पहले ये मशीन अन्य राज्यों में बिजली पर आधारित थी। लेकिन सांभर के लिए जो मशीन बनवाई जानी थी, वह सौलर ऊर्जा पर आधारित तैयार करानी थी। ऐसे में उन्होंने कैंपेन चलाया। सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाया। उन्होंने स्वयं की पांच लाख रुपए की सेविंग इसमें लगा दी। इसके साथ ही स्कूल में अपने टीचर्स से मदद ली और इसके बाद अपने दोस्तो, रिश्तेदारों व अन्य लोगों से मदद मांगी। जिसके बाद 11 लाख रुपए एकत्रित हुए और यह मशीन खरीदी गई।
कैसे काम करती है यह मशीन.. वायु जल नामक यह मशीन एक दिन में 165 लीटर पानी उत्पन्न करती है। जो एक दिन में करीब पांच सौ लोगों के लिए पर्याप्त जल होना बताया गया है। यह मशीन सीधे हवा में पानी को सोखकर उसे सौलर ऊर्जा की मदद से पेयजल में बदल देती है। इसका पानी स्वच्छ होता है, जिसे आसानी से लोग पी सकते है।
इसलिए पड़ रही जरूरत, कई बच्चे मरे तो कई बीमार.. प्रांजल शर्मा ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में ग्राम चेतना केंद्र के निदेशक ओम प्रकाश शर्मा से मुलाकात की। जिन्होंने बताया कि सांभर में दुषित पानी के कारण तीन बच्चों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा कई बच्चे अंधापन, बहरापन व अन्य बीमारियों के शिकार है। ऐसे में जब तक पानी की स्थिति में सुधार नहीं होगा तब तक स्थानीय लोग बीमारियों के शिकार होते रहेंगे।
सरकार मदद करे तो पूरे सांभर को मिल सकती है राहत.. प्रांजल शर्मा का कहना है कि बहरहाल उन्होंने एक मशीन लगाई है। लेकिन पूरे सांभर की आबादी करीब तीन लाख है। ऐसे में एक मशीन से पूरे सांभर को नहीं संभाला जा सकता है। इसके लिए सरकार अगर ध्यान दे तो पूरे सांभर को दूषित पानी से राहत मिल सकती है। लेकिन यह कार्य बड़े स्तर पर होगा।