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जयपुर

समुद्र में बसाए जाएंगे तैरते शहर

-तैरते द्वीप 5 श्रेणी तक के चक्रवाती तूफान को झेलने में सक्षम होंगे

जयपुरApr 20, 2019 / 08:39 pm

pushpesh

-तैरते द्वीप 5 श्रेणी तक के चक्रवाती तूफान को झेलने में सक्षम होंगे

समुद्र में बसाए जाएंगे तैरते शहर

जयपुर.

जलवायु परिवर्तन के खतरों से जूझ रहे तटीय शहरों के लिए अमरीका की एक कंपनी फ्लोटिंग द्वीप बनाने पर विचार कर रही है। संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में हाल ही आर्किटेक्ट, इंजीनियर और डवलपर्स के समूह ने बताया कि ऐसे तैरते शहरों का मॉडल कुछ महीने में तैयार कर लिया जाएगा। ये शहर इतने मजबूत होंगे कि तूफान के असर से भी बचे रहेंगे। इस कंसेप्ट का आधार जलवायु परिवर्तन है। समुद्रों का जलस्तर बढऩे से तटीय शहर इसकी चपेट में आ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में आवास उप निदेशक विक्टर किसोब का कहना है कि दुनिया के 90 फीसदी शहर इस वक्त जलवायु परिवर्तन की चपेट में हैं और 2030 तक समुद्रों का जलस्तर 7 इंच तक बढ़ सकता है। सिकुड़ रहे तटों को दुरुस्त करने के
गर्म तटों पर बसेंगी शुरुआती बस्तियां
ओशनिक्स जैसा कंसेप्ट विश्व के कुछ हिस्सों में पहले से ही हैं। जैसे नीदरलैंड के तैरते अपार्टमेंट, दक्षिणी चीन के जलमार्गों पर मछुआरों के लिए टांका, पेरू की टिटिका झील पर उरोज जनजाति के लिए बना कृत्रिम द्वीप भी पानी पर तैरते हुए हैं। ओशनिक्स के शहर इनसे कैसे अलग होंगे। कोलिन्स ने बताया कि ये द्वीप खुद में आत्मनिर्भर होंगे। प्लेटफॉर्म के ऊपर हवा में टर्बाइन चलेगा और नीचे पानी ऊर्जा प्रदान करेगा। लिए तटीय देश सिंगापुर सहित कई बड़े शहर समुद्र किनारे रेत के कट्टे डाल रहे हैं।
बांस व लकड़ी से बनेगा तैरता प्लेटफॉर्म
ओशनिक्स की साझेदार आर्किटेक्चरल फर्म बिजार्क इंगल्स के बिजार्क इंगल्स का कहना है कि 4.5 एकड़ का यह तैरता प्लेटफॉर्म बांस और लकड़ी से बनाया जाएगा। प्रत्येक प्लेटफॉर्म पर 300 लोग रह सकेंगे। इसी पर बाजार, खेत, कम ऊंचे अपार्टमेंट और सोलर पैनल्स लगाए जाएंगे। छह प्लेटफॉर्म को जोडक़र षट्भुजाकार का गांव बनेंगे और ऐसे छह गांवों को जोडक़र एक कस्बा बनेगा। ओशनिक्स के अधिकारी कोलिन्स चेन ने कहा कि इस प्रस्तावित द्वीप पर स्थानीय कानूनों का पालन किया जाएगा। कोलिन्स ने कहा कि हम इसकी मांग के अनुरूप ही इसका विस्तार करेगे। हालांकि सभी सरकारें अपने तटों को लीज पर देने के लिए राजी नहीं है, फिर ऐसे स्थान काफी महंगे भी होते हैं। कोलिंस बताते हैं कि हॉन्गकांग में तटीय इलाकों की जमीन एक करोड़ रुपए प्रति वर्ग मीटर कीमत है।
समुद्री पर्यावरण संबंधी चुनौतियां भी
ओशनिक्स के अधिकारी कोलिन्स चेन के मुताबिक पहली तैरती अस्थाई बस्ती को गर्म तटों पर स्थापित किया जाएगा, जैसे कि दक्षिण-पूर्व एशिया में। इंजीनियरों का सुझाव है कि शुुरुआती प्लेटफॉर्म को चक्रवात और तेज लहरों से सुरक्षित रखने के लिए शांत तटों पर बनाए जाने चाहिए। हालांकि आर्किटेक्ट्स का दावा है कि ऐसे प्लेटफॉर्म समुद्री झंझावातों को भी झेल सकते हैं। यहां तक कि 5 कैटेगरी तक के समुद्री तूफानों को झेलने में सक्षम होंगे। कुल मिलाकर तैरते द्वीप का ये कंसेप्ट कई देशों में लोकप्रिय तो हो रहा है, लेकिन इसके साथ ही ऊर्जा की खपत, खाद्य उत्पादन, आवास और समुद्री पर्यावरण जैसी चुनौतियां भी हैं।

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