वेल्स सरकार ने सोफिया होवे को कमिश्नर बनाकर संवैधानिक शक्तियों के साथ अजन्मे शिशुओं के अधिकारों की रक्षा का दायित्व सौंपा है। सविता ने बदलवाया आयरलैंड का कानून
आयरलैंड में कैथोलिक मान्यता के चलते गर्भपात की अनुमति नहीं थी। 28 अक्टूबर 2012 को भारतीय मूल की सविता हलप्पनवार की मौत के बाद आयरलैंड में कानून में बदलाव के लिए विरोध प्रदर्शन हुए। जनमत संग्रह के बाद आखिर कानून बदला गया। इसके मुताबिक यदि गर्भवती की जान को खतरा है, तो गर्भपात करवाया जा सकता है। सविता ने जान को खतरा बताते हुए गर्भपात की इजाजत मांगी थी, लेकिन यहां के कानून के चलते डॉक्टरों ने इसकी इजाजत नहीं दी और सविता की मौत हो गई।
मुंबई हाईकोर्ट ने पिछले वर्ष सितंबर में 18 वर्षीय एक बलात्कार पीडि़ता की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने 27 हफ्ते के भ्रूण को गिराने की अनुमति मांगी थी। खास बात ये है कि केस की सुनवाई करते हुए अदालत ने भ्रूण के अधिकारों की समीक्षा की बात कही। देश में पहली बार ये सवाल भी उठा कि क्या भ्रूण को व्यक्ति का दर्जा दिया जा सकता है? गर्भ में पल रहे एम्ब्रियो को आठ हफ्ते बाद यानी 57वें दिन से बच्चा पैदा होने तक कानून की नजर में वह ‘फीटस’ यानी ‘भ्रूण’ माना गया।