कोर्ट ने कहा कि आरोपी न परीक्षार्थी थे और न उन पर ब्लूटूथ के जरिए से नकल कराने का आरोप है। उनकी सिम का उपयोग भी सह आरोपियों ने किया। न्यायाधीश प्रवीर भटनागर ने इन तथ्यों का हवाला देकर तीनों आरोपियों को जमानत का लाभ दिया और याचिकाओं को निस्तारित कर दिया।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट को बताया कि उन्हें फंसाया गया। उनकी सिम अन्य आरोपियों ने इस्तेमाल की। याचिकाकर्ताओं को तो सिम का नकल में उपयोग होने तक की जानकारी नहीं थी। इसके बावजूद वे दो माह से अधिक समय से जेल में हैं। मुख्य आरोपी भावना को जमानत मिल चुकी, ऐसे में उन्हें जमानत पर छोड़ा जाए।
सरकारी अधिवक्ता ने जमानत याचिका खारिज करने का आग्रह करते हुए कहा कि परीक्षा में नकल कराने के लिए याचिकाकर्ताओं ने सह आरोपियों को सिम उपलब्ध कराई। कोर्ट ने दोनों पक्ष सुनने के बाद याचिकाकर्ताओं को राहत दी।