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जयपुर

राजस्थान में सस्ती बिजली के इंतजाम नहीं, इसलिए अब 16 रुपए यूनिट बिजली उत्पादन की तैयारी

Electricity Rate Update : राजस्थान में बिजली के रेट पर नया अपडेट। धौलपुर कंबाइंड साइकिल पावर प्लांट से बिजली उत्पादन और महंगा होगा। यहां 16 रुपए प्रति यूनिट तक रेट आएगा।

जयपुरNov 01, 2024 / 09:58 am

Sanjay Kumar Srivastava

Electricity Rate Update Electricity Generation from this Power Plant will be More Expensive Rate will be Rs 16 per unit
Electricity Rate Update : सरकार के सस्ती बिजली उत्पादन के प्रयासों के बीच धौलपुर कंबाइंड साइकिल पावर प्लांट से बिजली उत्पादन और महंगा होगा। यहां 16 रुपए प्रति यूनिट तक रेट आएगा। विद्युत उत्पादन निगम ने राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग में टैरिफ याचिका दायर की है। इसमें गैस और स्टीम टरबाइन से संचालन पर टैरिफ अलग-अलग है। बताया जा रहा है कि रबी सीजन शुरू होने वाला है और अगले तीन माह में बिजली की डिमांड 18 हजार मेगावाट से ज्यादा पहुंचने का आकलन किया गया है।
इसी का हवाला देते हुए अफसरों को धौलपुर कंबाइंड पावर प्लांट से संचालन की तैयारी करने के निर्देश दिए हैं। इसलिए अब टैरिफ तय होना भी जरूरी है। वर्ष 2024-25 में करीब 2458 करोड़ मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन की जरूरत जताई गई है। इस प्लांट से बिजली उत्पादन के लिए गैस की जरूरत होती है और इसके लिए निगम ने गेल से एमओयू किया हुआ है। अफसरों ने गैस महंगी होने के कारण उत्पादन लागत बढ़ने का तर्क दिया है। प्लांट की क्षमता 330 मेेगावाट है।

इसलिए 16 रुपए यूनिट पड़ेगी लागत…

1- गैस टरबाइन संचालन से उत्पादन- 16 रुपए प्रति यूनिट (संचालन आधे घंटे में शुरू किया जा सकता है। रबी सीजन और बिजली संकट के दौरान तत्काल उत्पादन शुरू करने की जरूरत रहती है)।
2- गैस के साथ स्टीम टरबाइन से उत्पादन- 12 रुपए प्रति यूनिट लागत (बिजली उत्पादन शुरू करने में कम से कम 12 घंटे लगते है) ।

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चार साल में डेढ़ माह ही मिली

1- इस वर्ष भीषण गर्मी में बिजली संकट गहराया। डिमांड पूरी करने के लिए मई में प्लांट से उत्पादन शुरू किया गया।
2- गैस आधारित यह पावर प्लांट अंतिम बार इस वर्ष मई में चलाया गया था। करीब 15 से 20 दिन बिजली उत्पादन किया गया। इसके बाद संचालन बंद कर दिया गया।
3- इससे पहले वर्ष 2023 के सितम्बर में पन्द्रह दिन उत्पादन किया गया।
4- वर्ष 2020 में करीब एक माह तक ही उत्पादन हुआ।
5- इस बीच बिजली कंपनियां पिछले पांच साल में 700 करोड़ रुपए फिक्स चार्ज के रूप में लुटा चुकी हैं।

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