एनसीएस ने कहा राजस्थान में अलवर, झुंझुनूं हैं संवेदनशील
दिल्ली स्थित नेशनल सेंटर आॅफ सिस्मोलॉजी निदेशक जेएल गौतम ने राजस्थान पत्रिका से बातचीत में बताया कि भूगर्भीय फॉल्ट लाइन दिल्ली एनसीआर के नजदीक ज्यादा हैं। ऐसे में दिल्ली समेत आस पास के क्षेत्र में भूकंप बीते दिनों से ज्यादा महसूस किए गए हैं। राजस्थान में दिल्ली एनसीआर से सटे अलवर और झुंझुनूं जिले भूकंपीय हलचल के मामले में संवेदनशील हैं जहां अधिक तीव्रता वाले भूकंप आने की आशंका बनी रहती है। दिल्ली एनसीआर की फॉल्ट लाइन हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले से देहरादून तक है। जिसमें बीते दिनों हरियाणा के रोहतक जिले में भूकंपीय हलचल मापी गई है। दूसरी दिल्ली— हरिद्वार है जहां मथुरा फॉल्ट नजदीक होने पर भूगर्भीय हलचल के कारण ग्रेटर नोएडा में भी भूकंप के झटके दर्ज हो चुके हैं।
धनबाद आईआईटी ने जताई आशंका
आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के भूभौतिकी और भूकंपीय विभाग के विशेषज्ञों ने रिसर्च में दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर ) में आने वाले दिनों में एक बड़ा भूकंप आने की आशंका जताई है। संस्थान के भूभौतिकी विभाग के हैड प्रोफेसर पी के खान के अनुसार “छोटे परिमाण के आवर्तक झटके बड़े भूकंप का संकेत देते हैं। उनका कहना है कि अब संघ और दिल्ली सरकार को भूकंपीय प्रभावों से बचाव को लेकर निवारक उपाय करने व जागरूकता बढ़ाने की बेहद जरूरत है।
रिपोर्ट में यह दिए तर्क
विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली एनसीआर समेत पूरे क्षेत्र में पिछले दो वर्षों में 4.0 से 4.9 और आठ के बीच परिमाण के साथ 64 झटके आए, जो परिमाण 5.0 और उससे ऊपर के परिमाणों के साथ थे, जो विशेष रूप से दिल्ली और कांगड़ा के पास क्षेत्र में तनाव ऊर्जा के संचय में वृद्धि को दर्शाता है। तीन जून को नोएडा के पास नवीनतम के साथ पिछले दो महीनों में क्षेत्र में 11 झटके महसूस किए जा चुके हैं। एनसीआर क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा से 370 किमी और उत्तरकाशी से 260 किमी दूर है, जो गंभीर भूकंपों के लिए जाना जाता है। ऐसे में भूकंप क शक्तिशाली झटके दिल्ली एनसीआर को भी प्रभावित करने की आशंका है। कांगड़ा के निकट चंबा और धर्मशाला में 1945 और 1905 में 6.3 और 7.8 तीव्रता के भूकंप आ चुके हैं।
रिपोर्ट में यह दिए सुझाव
विशेषज्ञों का मानना है कि हाल ही में हुई भूकंपीयता की क्लस्टरिंग अपेक्षाकृत कम है और उत्तरकाशी के पास गढ़वाल में भूकंप का एक क्षेत्र चिन्हित किया गया है। इस क्षेत्र में 1803 में 7.7 तीव्रता और 1991 में 6.8 तीव्रता के भूकंप देखे हैं। वर्तमान समय में बढ़ते शहरी घनत्व सरकारी स्तर पर आमजन में भूंकप से बचाव को लेकर जागरूकता प्रयासों की कमी का जिक्र करते हुए दिल्ली एनसीआर में भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा को विनाशकारी साबित होने के संकेत दिए हैं।
भूकंप के पूर्वानुमान बताने वाली तकनीक ही देश में नहीं है उपलब्ध
हालांकि विशेषज्ञों ने भविष्य में धरती में हो रही भूकंपीय हलचलों को लेकर भूकंप कब कब आएंगे और उनकी तीव्रता कितनी हो सकती है इस बारे में फिलहाल देश में भूकंप के लिए कोई भविष्यवाणी मॉडल अभी भी उपलब्ध नहीं है। वहीं भूकंप प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (ईईडब्ल्यूएस) बैक-एजिमथ और सुस्ती आधारित एल्गोरिथ्म तकनीक का होना अनिवार्य बताया गया है।
इनका कहना है-
दिल्ली एनसीआर व आस पास का क्षेत्र फॉल्ट लाइन के नजदीक है ऐसे में दिल्ली में भूकंप आने की आशंका ज्यादा रहती है। राजस्थान में अलवर और झुंझुनूं जिला भी संवेदनशील है। भूकंप कब आएंगे और इनकी तीव्रता कितनी हो सकती है इसका पूर्वानुमान बताने की तकनीक अभी देश में उपलब्ध नहीं है।
जेएल गौतम, निदेशक, नेशनल सेंटर आॅफ सिस्मोलॉजी, नई दिल्ली