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Jaipur Literature Festival 2023 : इतिहास में दूल्हाराय को उतना महत्व नहीं मिला, जिसके वो हकदार थे

दूल्हाराय ‘कॉनक्वेस्ट ऑफ दौसा: द अर्ली हिस्ट्री ऑफ द कछावाज में देवराज सिंह ने दौसा के प्राचीन शासक दूल्हाराय और उनकी पीढ़ियों द्वारा ढूंढाड़ के कछावा वंश के अभ्युध्य का गहराई से वर्णन किया है।

जयपुरJan 20, 2023 / 08:15 pm

Narendra Singh Solanki

Jaipur Literature Festival 2023 : दूल्हाराय 'कॉनक्वेस्ट ऑफ दौसा: द अर्ली हिस्ट्री ऑफ द कछावाज, इतिहास में दूल्हाराय को उतना महत्व नहीं मिला, जिसके वो हकदार थे

Jaipur Literature Festival 2023 : दूल्हाराय ‘कॉनक्वेस्ट ऑफ दौसा: द अर्ली हिस्ट्री ऑफ द कछावाज, इतिहास में दूल्हाराय को उतना महत्व नहीं मिला, जिसके वो हकदार थे

दूल्हाराय ‘कॉनक्वेस्ट ऑफ दौसा: द अर्ली हिस्ट्री ऑफ द कछावाज में देवराज सिंह ने दौसा के प्राचीन शासक दूल्हाराय और उनकी पीढ़ियों द्वारा ढूंढाड़ के कछावा वंश के अभ्युध्य का गहराई से वर्णन किया है। देवराज ने कहा कि इतिहास में शासक दूल्हाराय को उतना महत्व नहीं दिया गया है, जितने के वे हकदार हैं। इसलिए मैंने यह पुस्तक लिखने की योजना बनाई। उन्होंने कहा कि आमेर और मुगलों के बीच संधियां राजनीतिक थी न कि ग्रामीण संस्कृति की। इसमें मैंने कच्छवाहा वंश के साथ ही प्रतिहार योद्धाओं की वीरता को भी समाहित किया है।
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दौसा को अपनी कर्मभूमि बनाया

11वीं सदी के प्रारंभ में दूल्हाराय एडवेंचर प्रेमी शासक थे और चौहान शासकों से विवाहेत्तर संबंध के बाद उन्होंने बडगुर्जर बाहुल्य क्षेत्र दौसा को अपनी कर्मभूमि बनाया। इस प्रकार वह ढूंढाड के पूर्व स्थापत्यकारों में प्रमुख रहे हैं। राठौड़ जैसे अन्य राजपूतों को अपने नाम के साथ ठिकाने या गांव का नाम जोड़ने की स्वतंत्रता जिस प्रकार मिली है, कच्छवाहा वंश के राजपूत इससे वंचित ही रहे हैं। हम कछुए की तरह धीमे लेकिन लगातार आगे बढ़े हैं। इस पुस्तक में मैंने दौसा क्षेत्र की जागीरों का विस्तार से वर्णन किया है, ताकि देश विदेश में इसके गौरव को पहचान दिलाई जा सके। रूपा पब्लिकेशन ने पूर्व में राजमाता गायत्री देवी की भी पुस्तकें प्रकाशित की हैं और यह मेरा सौभाग्य है कि मेरे परिवार की तीसरी पीढ़ी की पुस्तक को भी उन्होंने अपने प्रकाशन में स्थान दिया है। राजमाता गायत्री देवी की याद में एक मेमोरियल गार्डन बनाने की मेरी मंशा है और जयपुरवासियों के सहयोग से यह मेमोरियल गार्डन पर्यावरण और राजमाता की यादों को संजोने का सशक्त माध्यम बनेगा।
https://youtu.be/wGnLyvhdseA

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