चिकित्सकों के अनुसार केमिकल वाले रंगों में सिलिका और सीसा मिलाया जाता है। इसकी थोड़ी सी भी मात्रा आंखों में जाने पर आंखों को नुकसान पहुंच सकता है। खुजली के साथ जलन और आंखें लाल हो सकती हैं। ऐसे रंग आंखों की पुतलियों को भी डैमेज कर सकते हैं। कुछ लोगों को ऐसे रंगों से एलर्जी भी हो जाती है जिसके चलते स्किन पर छोटे-छोटे दाने उभर आते हैं। ये केमिकल युक्त रंग फेफड़ों तक को नुकसान पहंचा सकते हैं। इतना ही नहीं सांस से जुड़ी बीमारियों की भी वजह बन सकते हैं।
एसएमएस अस्पताल गेस्ट्रोएंट्रोलोजी विभाग में सह आचार्य डॉ. सुधीर महर्षि का कहना है कि होली खेलते समय मुंह के जरिये पेट में रंग जा सकते हैं। इससे उल्टी, दस्त, पेट दर्द और इन्फेक्शन का खतरा बढ़ सकता है। ऐसी स्थिति में होली खेलते वक्त खान-पान से बचें। मुंह में रंग नही जाएं इसका ध्यान रखें।
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चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ दीपक माथुर का कहना है कि होली पर बिकने वाले रंगों में बड़े पैमाने पर औद्योगिक रंगों का उपयोग किया जाता है। क्योंकि वे सस्ते होते हैं। सस्ते होने के साथ ही ये स्वास्थ्य के लिए भी नुकसानदायक होते हैं। इनमें हानिकारक पदार्थ जैसे अभ्रक, एसिड, क्षार, कांच के टुकड़े जैसे तत्व मिले होते हैं। इनसे बाल, त्वचा समेत कई समस्या हो सकती हैं। जैसे जलन, खुजली, चकते उभरना, सांस संबंधी दिक्कत व आंखों में संक्रमण हो सकता है। इसलिए जहां तक संभव हो हर्बल रंगों का प्रयोग करें।
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-होली खेलने में हर्बल रंगों का इस्तेमाल करें।
-होली खेलने से पहले त्वचा पर कोई क्रीम, तेल या घी लगाएं। इससे त्वचा पर रंगों का असर नहीं पड़ेगा।
– रंगों से बालों को बचाने के लिए सिर पर टोपी पहनें।
– होली खेलते समय आंखों पर चश्मा लगाएं। आंखों में रंग चला जाए तो तुरंत आंखों को साफ पानी से धोएं। जलन हो तो चिकित्सक को दिखाएं।
– आंखों पर गुब्बारा लग जाए तो पहले सूती कपड़े से आंखों को ढकें या फोहा लगाएं और चिकित्सक की सलाह लें।
– होली खेलते समय नशीली वस्तुओं का सेवन न करें। अधिक नशे का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
– मिलावटी मिठाइयों का सेवन करने से बचें।