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जयपुर

डॉग्स ले रहे ट्यूशन… हाथ जोड़कर मेहमानों को करेंगे नमस्कार!

शहर में डॉग लवर्स अपने कुत्तों को ट्यूशन (Dog Tuition) दिलाकर सभ्य और संस्कारिक बना रहे हैं। इसके लिए वे बाकायदा 10 से 50 हजार रुपए तक खर्च कर ट्रेनिंग दिलवा रहे हैं। ट्रेनर उन्हें उठने-बैठने के तौर तरीके, हाथ जोड़कर नमस्कार, हैपी बर्थडे, अंग्रेजी के कई शब्द- गो, कम, रन, ब्रेक फास्ट, लंच, डिनर जैसे उच्चारण सिखा रहे हैं।

जयपुरApr 14, 2023 / 02:22 am

जमील खान

Dog Tuition

Dog Tuition

Jaipur News : शहर में डॉग लवर्स अपने कुत्तों को ट्यूशन (Dog Tuition) दिलाकर सभ्य और संस्कारिक बना रहे हैं। इसके लिए वे बाकायदा 10 से 50 हजार रुपए तक खर्च कर ट्रेनिंग दिलवा रहे हैं। ट्रेनर उन्हें उठने-बैठने के तौर तरीके, हाथ जोड़कर नमस्कार, हैपी बर्थडे, अंग्रेजी के कई शब्द- गो, कम, रन, ब्रेक फास्ट, लंच, डिनर जैसे उच्चारण सिखा रहे हैं। ओनर्स का कहना है कि पेट्स की ट्रेनिंग इसलिए भी जरूरी है क्योंकि घर में किसी मेहमान के आने पर डॉग के व्यवहार पर उन्हें शर्मिंदा न होना पड़े।

ट्रेनिंग के बाद डॉग्स का समाजिक और पारिवारिक व्यवहार काफी बदल रहा है। उनका आईक्यू लेवल भी तेजी से बढ़ रहा है। डॉग्स आंखों के इशारे और आवाज के लाउडनेस को भी अच्छी तरह से समझ रहे हैं। उन्हें बच्चों के साथ कैसा और बड़ों के साथ कैसा व्यवहार करना है समझ आ रहा है।

देसी कुत्ते बुद्धिमान और वफाादार
डाग्स ट्रेनरों का कहना है कि देसी कुत्ते विदेशी कुुत्तों से ज्यादा बुद्धिमान वफादार भी होते हैं। इनका जीवनकाल भी विदेशी कुत्तों से ज्यादा होता है और ये हर वातावरण में सहजता से ढ़ल जाते हैं। इनकी याद्दाश्त तेज विदेशी कुत्तों की अपेक्षा बीमारियां कम होती हैं।

3 से 8 महीने का समय लग रहा

जगतपुरा निवासी मुकेश शर्मा 16 साल से डॉग्स को ट्रेनिंग दे रहे हैं। वे कहते हैं कि डॉग्स की ट्रेनिंग उनकी बौद्धिक क्षमता पर भी निर्भर करती है। हालांकि हर रोज डॉग को कम से कम 30 मिनट ट्रेनिंग जरूरी है। पूरी ट्रेनिंग में 3 से 8 महीने लग जाते हैं। कई डॉग्स काफी गुस्सैल होते हैं ऐसे उनकी ट्रेनिंग में काफी दिक्कतें आती हैं।

डॉमेस्टिक-सिक्योरिटी ट्रेनिंग पर जोर
15 साल से डॉग्स को ट्रेनिंग दे रहे उमेश जादोन ने बताया कि डॉग ओनर अलग- अलग तरह की ट्रेनिंग पसंद करते हैं। हालांकि अधिकतर ओनर डॉमेस्टिक ट्रेनिंग, सिक्योरिटी ट्रेनिंग और डॉग शोज की ट्रेनिंग करवाना पसंद करते हैं। डॉग्स की ब्रीड के हिसाब से लोग ट्रेनिंग पर हजारों रुपए खर्च कर रहे हैं। उमेश 8 साल में 50 डॉग शोज जीत चुके हैं।

डॉग्स के लिए ट्रेनिंग है बेहद जरूरी

13 साल से डॉग्स को ट्रेनिंग दे रहे जगतपुरा निवासी विष्णु ने बताते हैं कि कई डॉग ब्रीड्स के लिए ट्रेनिंग बेहद जरूरी है। बिना ट्रेनिंग के जायन्ट डॉग्स को सिर्फ एक साल तक ही घर रखा जा सकता है। इसके बाद उन्हेें संभालना मुश्किल हो जाता है। हालांकि ट्रेनिंग के बाद डॉग्स के व्यवहार में बदलाव साफ दिखाई देते हैं। पेट्स अपने मालिक का कहना मानने लगते हैं।

देसी डाग्स नस्ल और खासियत
– राजपलायम डॉग : बेहद वफादार और स्नेही

– इंडियन पराई डॉग : देसी स्ट्रीट डॉग नस्ल, तेज मेमोरी

– कन्नी डॉग : काफी चालाक देसी नस्ल, ताकतवर

– कोंबाई डॉग- काफी ताकतवर नस्ल, आक्रामक-खूंखार

– चिप्पी पराई डॉग : बेहद वफादार, ऊंचाई 65 सेमीमीटर

पालतू डॉग की सुरक्षित नस्लें

– परिआह

– भारतीय स्पिट्ज

– लैब्राडोर डॉग

– गोल्डन रिट्रीवर

– पग

– जर्मन शेफर्ड

– बीगल

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ओनर्स का कहना है कि पेट्स की ट्रेनिंग इसलिए भी जरूरी है क्योंकि घर में किसी मेहमान के आने पर डॉग के व्यवहार पर उन्हें शर्मिंदा न होना पड़े।

Dog tuition

ट्रेनिंग के बाद डॉग्स का समाजिक और पारिवारिक व्यवहार काफी बदल रहा है। उनका आईक्यू लेवल भी तेजी से बढ़ रहा है। डॉग्स आंखों के इशारे और आवाज के लाउडनेस को भी अच्छी तरह से समझ रहे हैं। उन्हें बच्चों के साथ कैसा और बड़ों के साथ कैसा व्यवहार करना है समझ आ रहा है।

Dog Tuition

देसी कुत्ते बुद्धिमान और वफाादार
डाग्स ट्रेनरों का कहना है कि देसी कुत्ते विदेशी कुुत्तों से ज्यादा बुद्धिमान वफादार भी होते हैं। इनका जीवनकाल भी विदेशी कुत्तों से ज्यादा होता है और ये हर वातावरण में सहजता से ढ़ल जाते हैं। इनकी याद्दाश्त तेज विदेशी कुत्तों की अपेक्षा बीमारियां कम होती हैं।

Dog Tuition

डॉमेस्टिक-सिक्योरिटी ट्रेनिंग पर जोर
15 साल से डॉग्स को ट्रेनिंग दे रहे उमेश जादोन ने बताया कि डॉग ओनर अलग- अलग तरह की ट्रेनिंग पसंद करते हैं। हालांकि अधिकतर ओनर डॉमेस्टिक ट्रेनिंग, सिक्योरिटी ट्रेनिंग और डॉग शोज की ट्रेनिंग करवाना पसंद करते हैं। डॉग्स की ब्रीड के हिसाब से लोग ट्रेनिंग पर हजारों रुपए खर्च कर रहे हैं। उमेश 8 साल में 50 डॉग शोज जीत चुके हैं।

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