क्या इसके पीछे सरकार की मंशा किसी तरह की सोशल इंजीनियरिंग से जुड़ी है?
क्या यह आगामी विधानसभा चुनाव में रणनीति का हिस्सा है?
क्या किसी ने दो जिले बनाने की मांग की थी। इसमें राजनीतिक दल थे या फिर कोई प्रशासनिक अफसर?
जिला बनने से उस क्षेत्र में सुविधाएं बढ़ेगी, दूरियां कम होगी
सरकारी कार्यालय व अन्य सुविधाओं तक पहुंचने के लिए दूरी कम होगी
प्रशासनिक कार्यालय दो जगह बंटने से आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा।
2. भावी पीढ़ी इतिहास, विरासत और संस्कृति से कट जाएंगे
3. पूर्व महाराजा जयसिंह ने जयपुर की स्थापना वास्तु के आधार पर की थी, इससे यहां का वास्तु खंडित होने की आशंका
4. एक हिस्से का विकास ज्यादा होगा तो दूसरे हिस्से में कम। असमानता बढ़ेगी व एक होने की जगह अलग होने का भाव आएगा।
5. हमें आधार कार्ड, पासपोर्ट, परिचय पत्र, राशन कार्ड और पैन कार्ड सहित अन्य सभी दस्तावेज पर पहचान बदलनी पड़ेगी। पिन कोड बदल जाएगा
6. समाज, संस्थाएं और दल विभाजित होंगे। सबको अपनी अलग-अलग इकाई बनानी पड़ेगी, अलग से नया संगठन बनाना पड़ेगा। उनकी प्रशासनिक इकाइयां बनानी होगी। शहर और संस्थाओं पर वित्तीय भार बढ़ेगा
7. विभाजन का आधार बेहतर व त्वरित विकास का दावा, पर जयपुर हेरिटेज और ग्रेटर के बंटवारे को देखकर परेशान करने वाले हालात सामने हैं
8. वर्ष 2027 में कौन से जयपुर की स्थापना के तीन सौ साल पूरे होंगे? किस जयपुर का स्थापना दिवस मनाया जाएगा?
सेव जयपुर-वन जयपुर की मुहिम चलाने वाले सुनील कोठारी ने बताया कि हर नागरिक यह चाहता है कि जयपुर शहर का विभाजन नहीं हो। कैंडल मार्च में जिस तरह लोग स्वत: एकजुट हुए, उससे सरकार को समझना चाहिए कि लोग क्या चाह रहे हैं। वहीं, सुरेश मिश्रा का कहना है कि जयपुर केवल भूमि का टुकड़ा नहीं, इससे हमारा मानसिक और भावनात्मक लगाव है। जिस तरह परिवार टूटने का दर्द होता है, निश्चित तौर पर उसी तरह का दर्द यह विभाजन कराएगा। शहरवासियों के साथ मैं भी इस मुहिम के साथ हूं कि जयपुर शहर दो जिलों में नहीं बांटना चाहिए।
सांस्कृतिक, राजनीतिक, प्रशासनिक और प्रशासनिक कुशलता को देखते हुए जयपुर शहर का नोटिफाइड एरिया एक रखा जाना चाहिए। अगर समस्या है तो आठ विधानसभा क्षेत्रों का कुछ क्षेत्र अलग कर ग्रामीण अंचल को अलग जिलों में किया जा सकता है। जैसे आमेर और झोटवाड़ा। राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम की धारा 14 और 15 के तहत जिसके तहत सरकार नोटिफिकेशन करेगी, उसमें प्रावधान है कि तहसील काे एक जिले में शामिल किया जाता है। तहसील से कम क्षेत्र नहीं आ सकता। जयपुर जिले के शहरी क्षेत्र की आठ विधानसभा क्षेत्र को एक जिले में रखने के बाद भी जयपुर जिले का बड़ा भूभाग जयपुर उत्तर और जयपुर दक्षिण के रूप में जिले के रूप में संगठित होने के लिए पर्याप्त क्षेत्र बचेगा।