दरअसल, निजी फर्मों की ओर से बसों का संचालन किए जाने से निगम की ओर से पल्ला झाड़ दिया जाता है। हाल ही में एक रिटायर्ड आइएएस और बस परिचालक के बीच हुए विवाद ने इस समस्या को और उजागर किया है। बसों में सीसीटीवी कैमरे तो लगे है, लेकिन अधिकांश खराब है। महिलाओं की सुरक्षा को देखते हुए पैनिक बटन जैसी सुविधाएं भी मौजूद नहीं है।
अगर यात्रियों के साथ कोई घटना हो जाए, तो शिकायत करने के लिए कोई प्रभावी हेल्पलाइन उपलब्ध नहीं है। अक्सर होती घटनाएं बसों में पर्स, मोबाइल व सामान गायब होने की घटनाएं आम हैं। परिचालकों और यात्रियों के बीच रुकने, तेज गति से बस चलाने और किराए को लेकर विवाद होते हैं। स्टूडेंट पास और अन्य सेवाओं को लेकर भी विवाद सामने आते हैं।
महिला सुरक्षा के दावे फेल
- जेसीटीएसएल की करीब 200 बसों में रोजाना एक लाख से अधिक यात्री सफर करते हैं, जिनमें करीब 40 प्रतिशत महिलाएं होती हैं।
- लगभग 40,000 महिला यात्रियों के बावजूद बसों में पैनिक बटन जैसी बुनियादी सुरक्षा सुविधाएं नहीं हैं। हालांकि रोडवेज की बसों में पैनिक बटन लगाए जा रहे हैं।
- महिला विशेष बसों का संचालन भी कोरोना काल के बाद से बंद कर दिया गया है।
अक्सर होती घटनाएं
- बसों में पर्स, मोबाइल व सामान गायब होने की घटनाएं आम हैं।
- परिचालकों और यात्रियों के बीच रुकने, तेज गति से बस चलाने और किराए को लेकर विवाद होते हैं।
- स्टूडेंट पास और अन्य सेवाओं को लेकर भी विवाद सामने आते हैं।