ग़ौरतलब है कि इस मंदिर में हनुमान मूर्ति भी अपने आप में अनूठी है, क्योंकि यह एक चतुर्भुज मूर्ति है। मूर्ति की 4 भुजाएं हैं। यह मूर्ति किसी के द्वारा स्थापित नहीं है। कहा जाता है कि यह अपने आप ही प्रकट हुई है। इस मंदिर के प्रधान सेवक महाराज हरिदास थे, जिन्होंने जीवन मंदिर की सेवा में लगा दिया। उनके निधन के बाद से ये परिक्षेत्र हरिदास जी की मगरी के नाम से जाना जाता है।