रामबाग पैलेस और जसयमहल पैलेस दोनों को ही टाटा ग्रुप की कंपनी इंडियन होटल्स लिमिटेड चला रही है। शेयर हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इस कंपनी के साथ भी नए सिरे से समझौता करना होगा।
इसलिए पहुंचा मामला सुप्रीम कोर्ट
एनसीएलटी के मार्च 2020 के आदेश से व्यथित होकर देवराज व लालित्या की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी। देवराज व लालित्य के अधिवक्ता अभिषेक राव ने बताया कि वे पहले की तरह जयमहल पैलेस में 99 प्रतिशत व रामबाग पैलेस में 27.5 प्रतिशत शेयर प्राप्त करना चाहते थे, जो बाद में कम रह गए थे। अब दोनों पक्षों का अलग-अलग कंपनियों के स्वामित्व पर समझौता हो गया है। उधर, विजित सिंह के अधिवक्ता संजीव सेन के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में अपने फैसले में जगत सिंह की वसीयत को वैध माना। एनसीएलटी ने मार्च 2020 में कहा कि दोनों कंपनियों के मामले में देवराज व लालित्या को दखल करने का अधिकार नहीं है। जय सिंह व विजित सिंह ने बड़ा दिल दिखाते हुए नए समझौते के तहत जगत सिंह के पुत्र-पुत्री को जयमहल का अधिकार देना मंजूर किया।
1997 से शुरु हुआ विवाद
विवाद का जन्म 1997 में देवराज व लालित्या के पिता जगत सिंह के समय हुआ, लेकिन कोर्ट में करीब 15 साल पहले पहुंचा। जगत सिंह के पुत्र देवराज व लालित्या इस मामले में अदालती लड़ाई लड़ रहे थे।