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जयपुर

खाट पर आए, चांदी के रथ पर गए ठाकुरजी

कार्तिक शुक्ल एकादशी पर शुक्रवार को देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi ) मनाई गई। चार माह में क्षीर सागर मेें विश्राम कर रहे श्रीहरि शंख, घंटा-घडियाल के साथ उठे। इसके साथ ही मांगलिक कार्य और शादी-ब्याह शुरू हो गए है। शहर के अराध्य गोविंददेवजी मंदिर (Mandir Shri Govinddevji ) में भक्तों की भीड़ उमड़ी। शहर के अन्य मंदिरों में भी विशेष आयोजन हुए।

जयपुरNov 08, 2019 / 06:39 pm

Girraj Sharma

खाट पर आए, चांदी के रथ पर गए ठाकुरजी

खाट पर आए, चांदी के रथ पर गए ठाकुरजी

खाट पर आए, चांदी के रथ पर गए ठाकुरजी
– देवउठनी एकादशी
– गोविंददेवजी मंदिर और गलता तीर्थ में उमड़ी भीड़
जयपुर। कार्तिक शुक्ल एकादशी पर शुक्रवार को देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi ) मनाई गई। चार माह में क्षीर सागर मेें विश्राम कर रहे श्रीहरि शंख, घंटा-घडियाल के साथ उठे। इसके साथ ही मांगलिक कार्य और शादी-ब्याह शुरू हो गए है। शहर के अराध्य गोविंददेवजी मंदिर (Mandir Shri Govinddevji ) में भक्तों की भीड़ उमड़ी। शहर के अन्य मंदिरों में भी विशेष आयोजन हुए। देवउठनी एकादशी पर कई जगहों पर तुलसीजी-सालिगरामजी का विवाह हुआ। वहीं गलता तीर्थ (galata tirth) में स्नान के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी। सुबह से ही गलता में भक्तों की भीड़ जुटना शुरू हो गई।
गोविंददेवजी मंदिर में महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में सुबह शृंगार झांकी के बाद सालिगरामजी को खाट पर विराजमान कर मंदिर के दक्षिण-पश्चिमी कोने में तुलसीजी मंच की ओर ले जाया गया। यहां सालिगरामजी और तुलसीजी का पंचामृत अभिषेक कर पूजन किया गया। इसके बाद आरती हुई। तुलसीजी की चार परिक्रमा के बाद सालिगरामजी को दो अश्व वाले चांदी के रथ में विराजमान कर मंदिर की एक परिक्रमा कराकर फिर से गर्भगृह में विराजमान किया गया। इसके बाद भक्तों ने शृंगार झांकी के दर्शन किए। इस अवसर पर ठाकुरजी को लाल जामा पोशाक धारण कराई गई। विशेष आभूषण कर शृंगार किया गया। मंदिर में भारी भीड़ रही। इस कारण राजभोग झांकी के दर्शन 15 मिनट अधिक बारह बजे तक खुले रहे। श्रद्धालुओं को सागारी लड्डू प्रसाद वितरित किया गया।
चौड़ा रास्ता स्थित राधा दामोदरजी मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ी। मंगला झांकी में दर्शनों के लिए अन्य दिनों से अधिक श्रद्धालु पहुंचे। मंदिर महंत मलय गोस्वामी के सान्निध्य में देव उठाने के बाद ठाकुरजी का विशेष पूजन हुआ। ठाकुरजी और तुलसा का विवाह कराया गया।
तुलसीजी का विवाह
बड़ी चौपड़ स्थित लक्ष्मीनारायण बाईजी मंदिर में पुरुषोत्तम भारती के सान्निध्य में दोपहर में तुलसी-सालिग्राम विवाह हुआ। इससे पूर्व विधिवत पूजा-अर्चना की गई। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने तुलसी और सालिगरामजी की परिक्रमा की।
इससे पहले सुबह शंख, घंटा, घडिय़ाल की मधुर स्वर लहरियों के बीच उतिष्ठो.उतिष्ठो नारायण मंत्र के साथ ठाकुरजी को जगाया गया। सबसे पहले चांदी के गिलास में केसर मिश्रित हल्के गर्म दूध का भोग लगाया गया। सुगंधित गुनगुने जल से स्नान कराने के बाद पंचामृत और पंचगव्य से अभिषेक कर नवीन पोशाक धारण कराई गई।
पदगायन से ठाकुरजी को जगाया
पानों का दरीबा सुभाषए चौक स्थित शुक संप्रदाय आचार्य पीठ सरस निकुंज में पीठाधीश्वर अलबेली माधुरी शरण महाराज के सान्निध्य में देवउठनी एकादशी पर ठाकुर राधा सरस बिहारी सरकार को सुबह पीठ के आचार्यों के रचित पदों की मधुर स्वर लहरियों के साथ जगाया गया। अभिषेक, पूजा और शृंगार के कार्यक्रम हुए।
यहां भी हुए आयोजन
रामगंज स्थित लाड़लीजी मंदिर, पुरानी बस्ती स्थित गोपीनाथजी सहित अन्य मंदिरों में भी देवउठनी एकादशी धूमधाम से मनाई गई। गोनेर स्थित लक्ष्मी जगदीश महाराज के मंदिर में देवउठनी एकादशी का मेला भरा। अनेक धार्मिक आयोजनों में हजारों श्रद्धालुओं ने लक्ष्मी जगदीश भगवान दर्शन किए। खीर-मालपुओं का भोग लगाया।

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