विधायक टाक ने कला दीर्घा खोले जाने को लेकर कला व संस्कृति मंत्री तथा मुख्यमंत्री को पत्र सौंपकर आग्रह किया कि दिल्ली अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर किशनगढ़ है। इसके पास जगतपिता ब्रह्मा मन्दिर पुष्कर एवं ख्वाजा मोईनुद्धीन की दरगाह सांप्रदायिक सद्भाव व बन्धुता के भाव लिए अरावली पर्वतमाला के मध्य किशनगढ़ मार्बल व्यवसाय में अग्रणी है। पर्यटन व धार्मिक स्थल है। यहां की प्राचीन व ऐतिहासिक धरोहरें पर्यटकों का आकर्षण केन्द्र रहती है, पिताम्बर की गाल श्रीनाथजी के नाथद्वारा पदार्पण करते समय विराजमान होने, खोडा गणेश मन्दिर, निम्बार्क तीर्थ सलेमाबाद तेजाजी धाम सुरसुरा है।
किशनगढ़ का ऐतिहासिक किला, गुन्दोलाव झील, मोखम विलास, ऐतिहासिक काली माता मन्दिर, पूरे भारतवर्ष में एकमात्र नवग्रह मन्दिर किशनगढ़ में स्थित है। मार्बल का हैन्डीक्राफ्ट कलाकृतियां, डम्पिंग-यार्ड कश्मीर का प्रतिरूप है यहां फिल्मों की शूटिंग एवं फोटोग्राफी की जाती है। नवनिर्मित भव्य रेलवे-स्टेशन, बस-स्टेण्ड, एयरपोर्ट नयनाभिराम है।
किशनगढ़ चित्रशैली का विकास महाराजा रूप सिंह (1643-1658) के समय प्रारंभ हुआ और महाराजा सांवतसिंह (1748-1764) के समय विकसित हुआ। महाराजा सांवतसिंह के समय ही किशनगढ़ चित्रशैली के चित्र बनाए गए। इसके बाद विश्व प्रसिद्ध राधा (बणी-ठणी) की कृति का चित्र कलाकार निहालचंद ने बनाया था। बनी-ठणी राजस्थानी शब्द है , इसका हिन्दी में मतलब सजी-धजी होता है। इसकी विशेषताओं में पुरुषाकृति में लंबा छरहरा बदन, उन्नत ललाट, लंबी नाक, पतले होंठ, खंजनाकृत कानों तक खिंचे हुए विशाल नयन प्रमुख है। वहीं नारी आकृति में गौर वर्ण, बांके काजल से युक्त विशाल नयन, उन्नत ललाट, बड़ी तीखी सुंदर नासिका, सुराहीदार गर्दन आदि है। इसके साथ ही प्राकृतिक परिवेश का भी बड़े स्तर पर उपयोग शामिल है। इसमे झील, पक्षी, नौकाएं, कमल दलों से ढके जलाशय शामिल है। इसमे प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया गया है।