दिखते नहीं, महसूस होते हैं – 2.5 एमएम पार्टिकल्स प्रदूषण नियंत्रण मंडल की क्वालिटी कंट्रोल विंग के अधिकारियों का कहना है कि जयपुर की हवा में 2.5 एमएम पार्टिकल्स का स्तर बढ़ गया है। इन कणों का आकार छोटा होने के कारण ये ज्यादा दिखते नहीं है। धूप खिलने पर तो 2.5 एमएम पार्टिकल्स बहुत कम नजर आते हैं। सुबह के वक्त जब धुंध होती है, तब इन्हें देखा जा सकता है। आज सुबह जब धुंध थी, उस वक्त इसका असर नजर आया था। 2.5 एमएम पार्टिकल्स दिखने की बजाय महसूस ज्यादा होते हैं। आज सांस लेने पर हवा में धुंए की मौजूदगी महसूस हो रही है। जबकि दोपहिया वाहन चलाते वक्त आंखों में जलन से भी प्रदूषण के बढ़े हुए स्तर का पता चल रहा है। जयपुर में धुंध बढ़ेगी तो हवा में मौजूद प्रदूषण दिखने लगेगा।
क्या है AQI लेवल –
आपको बता दें कि हवा में 2.5 एमएम और 10 एमएम साइज के पार्टिकुलर मैटर यानी धूल या धुंए के कणों की मौजूदगी को एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) कहते हैं। इनके साथ नाइट्रोन कार्बन डाईआॅक्साइड, ओ3, कार्बन आॅक्साइड, एनएच3 और एसओ2 गैसों की मौजूदगी को भी मापा जाता है। एक्यूआई में 2.5 एमएम और 10 एमएम आकार वाले धुंए या धूल कणों की संख्या सबसे ज्यादा रहती है।
ये है AQI का मतलब – 0 से 100 — अच्छा , 101 से 200 — ठीकठाक , 201 से 300 — खराब, 301 से 400 — बहुत खराब , 400 से 500— खतरनाक वर्जन। राजवायु एप राजस्थान के प्रमुख शहरों का आॅनलाइन एक्यूआई डेटा देता है, यदि एप पर 2.5 एमएम पार्टिकल्स का स्तर 500 पार चला गया है, तो इसका मतलब है कि हवा में प्रदूषण बढ़ गया है। यह दिल्ली में स्मॉग का असर भी हो सकता है। इसका पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। रामप्रकाश वर्मा, एसएसओ (लैबोरेट्री), प्रदूषण नियंत्रण मंडल