scriptमैसूरु के शाही परिवार को 400 साल बाद मिली श्राप से मुक्ति, डूंगरपुर के पूर्व राजघराने से है खास रिश्ता | Curse on Wadiyars ends -Mysore Queen Trishika Kumari gives Birth to Ba | Patrika News
जयपुर

मैसूरु के शाही परिवार को 400 साल बाद मिली श्राप से मुक्ति, डूंगरपुर के पूर्व राजघराने से है खास रिश्ता

मैसूरु के पूर्व शाही परिवार के उत्तराधिकारी यदुवीर कृष्णदत्ता चामराजा वाडियार की पत्नी त्रिशिका कुमारी सिंह ने बेटे को जन्म दिया है।

जयपुरDec 08, 2017 / 12:43 pm

Santosh Trivedi

Trishika Kumar
जयपुर। मैसूरु के पूर्व शाही परिवार के उत्तराधिकारी यदुवीर कृष्णदत्ता चामराजा वाडियार की पत्नी त्रिशिका कुमारी सिंह ने बेटे को जन्म दिया है। 400 साल बाद आई इस खुशखबरी से राज परिवार में जश्र का माहौल है। पहली बार बाद वाडियार राजघराने में किसी लड़के यानी राजवंश के उत्तराधिकारी का प्राकृतिक तरीके से जन्म हुआ है।
बताया जाता है कि अब तक इस राजघराने की किसी भी रानी ने बेटों को जन्म नहीं दिया। ऐसे में शाही परिवार में बच्चे के जन्म लेने से खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। यदुवीर कृष्णदत्ता चामराजा वाडियार का जन्म राजस्थान के डूंगरपुर के पूर्व राजघराने की त्रिशिका कुमारी सिंह के साथ 2016 में हुआ था।
400 सालों से इस राजवंश में अगला राजा दत्तक पुत्र ही बनता आ रहा है। अब तक राजा-रानी अपना वारिस गोद लेकर ही चुनते आए हैं। पिछले 5 सदियों से यानि कि 1612 से इस राजवंश की किसी भी महारानी ने लड़के को कोख से जन्म नहीं दिया। यहां तक कि खुद यदुवीर वाडियार भी गोद लिए हुए हैं।
डूंगरपुर के पूर्व राजघराने से रिश्ता करीब एक शताब्दी पुराना
मैसूरु के वाडियार परिवार का डूंगरपुर के पूर्व राजघराने से रिश्ता करीब एक शताब्दी पुराना है। यदुवीर वाडियार वंश के तीसरे शख्स हैं जिनकी शादी डूंगरपुर के पूर्व शाही परिवार में हो रही है। यदुवीर से पहले 1918 में नलवाडी कृष्णा राजा वाडियार ने डूंगरपुर की राजकुमारी प्रताप रूद्रकुमारी देवी से विवाह किया था। उसके बाद 1944 में तत्कालीन मैसूरु महाराजा जयचामराजेंद्र वाडियार ने भी डूंगरपुर की राजकुमारी सत्य प्रेमा कुमारी से विवाह किया था।
प्रमोदा ने लिया है यदुवीर को गोद
यदुवीर को पिछले साल फरवरी में पूर्व शाही परिवार के आखिरी वंशज श्रीकंठ दत्ता नरसिम्हराजा वाडियार की पत्नी प्रमोदा देवी ने गोद लिया था। श्रीकंठ वाडियार का दिसम्बर 2014 में निधन हो गया था। श्रीकंठ-प्रमोदा दंपजी को कोई संतान नहीं थी। यदुवीर श्रीकंठ के बड़ी बहन गायत्री देवी के नावसे है। प्रमोदा के गोद लेने के बाद पिछले साल मई में यदुवीर की रस्मी ताजपोशी हुई थी।
400 साल से पीछा कर रहा था श्राप
माना जाता है कि 400 साल से एक श्राप शाही परिवार को पीछा कर रहा था। यह श्राप 1612 में विजयनगर की तत्कालीन महारानी अलमेलम्मा ने दिया था। इतिहासकारों के मुताबिक, विजयनगर साम्राज्य के पतन के बाद वाडियार राजा के आदेश पर विजयनगर की धन संपत्ति लूटी गई थी। उस समय महारानी अलमेलम्मा के पास काफी सोने, चांदी और हीरे- जवाहरात थे। इसे लेने वाडियार ने महारानी के पास दूत भेजा। लेकिन उन्होंने गहने देने से मना कर दिया तो शाही फौज ने जबरन गहने ले लिए।
इससे खफा होकर महारानी अलमेलम्मा ने श्राप दिया कि वाडियार राजवंश के राजा- रानी की गोद हमेशा सूनी रहेगी। श्राप देने के बाद अलमेलम्मा ने कावेरी नदी में छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली। तब से वाडियार राजवंश में किसी भी राजा को संतान के तौर पर पुत्र नहीं हुआ। राज परंपरा आगे बढ़ाने पुत्र को गोद लेते आए हैं। कहा तो यह भी जाता है कि इस श्राप को हटाने के लिए वाडियार राजवंश लंबे समय से प्रयास कर रहा था। अब शाही परिवार में बेटे के जन्म से इस श्राप से मुक्ति मिल गई है।

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