मैसूरु के वाडियार परिवार का डूंगरपुर के पूर्व राजघराने से रिश्ता करीब एक शताब्दी पुराना है। यदुवीर वाडियार वंश के तीसरे शख्स हैं जिनकी शादी डूंगरपुर के पूर्व शाही परिवार में हो रही है। यदुवीर से पहले 1918 में नलवाडी कृष्णा राजा वाडियार ने डूंगरपुर की राजकुमारी प्रताप रूद्रकुमारी देवी से विवाह किया था। उसके बाद 1944 में तत्कालीन मैसूरु महाराजा जयचामराजेंद्र वाडियार ने भी डूंगरपुर की राजकुमारी सत्य प्रेमा कुमारी से विवाह किया था।
यदुवीर को पिछले साल फरवरी में पूर्व शाही परिवार के आखिरी वंशज श्रीकंठ दत्ता नरसिम्हराजा वाडियार की पत्नी प्रमोदा देवी ने गोद लिया था। श्रीकंठ वाडियार का दिसम्बर 2014 में निधन हो गया था। श्रीकंठ-प्रमोदा दंपजी को कोई संतान नहीं थी। यदुवीर श्रीकंठ के बड़ी बहन गायत्री देवी के नावसे है। प्रमोदा के गोद लेने के बाद पिछले साल मई में यदुवीर की रस्मी ताजपोशी हुई थी।
माना जाता है कि 400 साल से एक श्राप शाही परिवार को पीछा कर रहा था। यह श्राप 1612 में विजयनगर की तत्कालीन महारानी अलमेलम्मा ने दिया था। इतिहासकारों के मुताबिक, विजयनगर साम्राज्य के पतन के बाद वाडियार राजा के आदेश पर विजयनगर की धन संपत्ति लूटी गई थी। उस समय महारानी अलमेलम्मा के पास काफी सोने, चांदी और हीरे- जवाहरात थे। इसे लेने वाडियार ने महारानी के पास दूत भेजा। लेकिन उन्होंने गहने देने से मना कर दिया तो शाही फौज ने जबरन गहने ले लिए।