सुबह 9:08 बजे पंत जेडीए की मुख्य इमारत में पहुंचे। इसके बाद अतिरिक्त आयुक्त, नगर नियोजन शाखा, विधि और निदेशक अभियांत्रिकी शाखा में गए। उन्होंने अतिरिक्त मुख्य अभियंता और एक्सईएन हेडक्वार्टर के ऑफिस मेें जाकर फाइलों को देखा। फाइलों की पेंडेंसी देख वे नाराज हुए। निरीक्षण के दौरान वे करीब 40 कमरों में गए।
जेडीसी मंजू राजपाल ने कहा कि ई-फाइलिंग का काम काफी हद तक पूरा हो गया है। सी श्रेणी की फाइलों को ऑनलाइन करने का काम चल रहा है।
गौरतलब है कि 23 जनवरी को मुख्य सचिव ने जेडीए का औचक निरीक्षण किया था। उस समय ढेर सारी खामियां मिली थीं और लैंड फॉर लैंड की फाइलें पेंडिंग मिली थीं। निरीक्षण के बाद सरकार ने सचिव, अतिरिक्त आयुक्त और एक उपायुक्त को एपीओ कर दिया था।
किसके लिए क्या कहा
सभी से: कार्य को मैरिट के आधार पर समय सीमा में पूरा करें। सीधे लाइन पर चलना है। सही को गलत नहीं करना और गलत को सही नहीं करना।
इंजीनियरिंग विंग: हर सप्ताह प्रोजेक्ट की समीक्षा करें। हर दस दिन में बिल तैयार करवाएं। समय पर बिलों का भुगतान करें।
प्रवर्तन शाखा: सही को सही और गलत को गलत कहें। निजी विवाद में पार्टी नहीं बनना है। जेडीए की जमीन को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास करें।
सामूहिक जिम्मेदारी: सफाई व्यवस्था को बेहतर करने की जिम्मेदारी प्रशासनिक शाखा की है, लेकिन सभी सहयोग करेंगे। यहां काम के लिए शहर भर से लोग आते हैं।
ई-फाइलिंग से पहले की तुलना में पेंडेंसी कम हुई है। कुछ अधिकारियों के कमरे में तीन-चार दिन पुरानी ही फाइलें मिलीं। सचिव नौ घंटे में फाइल डिस्पोज कर रही हैं। कुछ अन्य अधिकारियों का फाइल डिस्पोज करने का समय 14 से 18 घंटे का है। इसे अधिकतम पांच घंटे करना है। एक-दो अधिकारियों के काम में लापरवाही सामने आई है। उन पर कार्रवाई के लिए जेडीसी को लिखकर भेजूंगा।
– सुधांश पंत, मुख्य सचिव