राज्य सरकार ने विधानसभा में विधायकों के प्रश्नों के जवाबों से इस तरह के संकेत मिल रहे हैं कि लोकसभा चुनाव की मतगणना तक यह राहत जारी रहेगी। लेकिन इसके बाद उपभोक्ताओं को झटका लग सकता है। गौरतलब है कि कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार ने चुनावी वर्ष में प्रदेश के घरेलू उपभोक्ताओं को 100 यूनिट व कृषि उपभोक्ताओं को 2000 यूनिट तक निशुल्क बिजली देने की घोषणा की थी। इससे प्रदेश के करोड़ों बिजली उपभोक्ताओं को बिजली के बिलों में राहत मिल रही है। पहले से ही घाटे में चल रही बिजली कम्पनियों का संचित घाटा 1 लाख, 7 655 करोड़ के ऊपर पहुंच गया है। इसमें अकेले वर्ष 2022-23 वर्ष का घाटा 8824.43 करोड़ रुपए का है।
उपभोक्ताओं को मिला फायदा बिजली कम्पनियां भले बड़े घाटे में हैं पर सरकार की ओर से दी राहत से जनता को फायदा मिला है। दिसबर-2023 तक प्रदेश के 1.20 करोड़ से ज्यादा घरेलू उपभोक्ताओं तथा 17.74 लाख से ज्यादा कृषि उपभोक्ताओं को बिजली के बिल में राहत मिल रही थी। इनमें 69.88 लाख से ज्यादा घरेलू और 10.09 लाख कृषि उपभोक्ताओं के बिल शून्य आ रहे थे। कम्पनियों के घाटे को कम करने के लिए निगम प्रशासन लगातार प्रयासरत है।इसके तहत समय-समय पर बेहतर ईंधन, परामर्श सेवाएं, कर्मचारियों को प्रशिक्षण की व्यवस्था जैसे कदम उठाए हैं। यह बात सही है कि विद्युत कम्पनियां कंगाली के कगार पर है। सरकार की ओर से दिए जा रहे अनुदान के कारण हजारों करोड़ का वित्तीय भार डिस्कॉम पर आ चुका है। अनुदान के खर्चे के लिए विद्युत कपनियों को बैंकों से प्रति वर्ष 60 हजार करोड़ से अधिक का ऋण लेना पड़ता है। इसका सालाना ब्याज मार रहा है।
कौनसे डिस्कॉम को कितना घाटा -अजमेर विद्युत वितरण निगम- 28,263.39 करोड़ रुपए
-जयपुर विद्युत वितरण निगम- 29,318,33 करोड़ रुपए
-जोधपुर विद्युत वितरण निगम- 34,488.07 करोड़ रुपए
-राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम- 1448.90 करोड़ रुपए
-राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम- 14,137.11 करोड़ रुपए
-कुल संचित घाटा- 1,07,655.8 करोड़ रुपए