जानकारी नहीं जुटा रहा विभाग
पड़ताल में सामने आया कि ऐसे लोगों का रिकॉर्ड रजिस्टर न तो मेडिकल स्टोर संचालक संधारित कर रहे हैं और न ही विभाग ऐसे किट खरीदने वालों की जानकारी जुटा रहा है। इनके संक्रमित पाए जाने पर उनके प्रोटोकॉल की निगरानी भी विभाग की नजरों से पूरी तरह दूर है। मेडिकल स्टोर्स संचालकों को भी चिकित्सा विभाग या औषधि नियंत्रण संगठन की ओर से इनका रिकॉर्ड रखने के कोई निर्देश नहीं है। जानकारी के अनुसार आइसीएमआर की गाइडलाइन के अनुसार इन किट से संक्रमित पाए जाने पर उसके सर्टिफिकेट के लिए संबंधित किट के पोर्टल पर जाकर अपलोड करना आवश्यक होता है। लेकिन जिसे सर्टिफिकेट की आवश्यकता नहीं होती, वे यह प्रक्रिया पूरी भी नहीं कर रहे।
200 रुपए में बाजार में उपलब्ध
जयपुर के दवा बाजार की पड़ताल में सामने आया कि ये किट बाजार में 200 रुपए तक में आसानी से मिल रहे हैं। जबकि महामारी कानून के मुताबिक हर डॉक्टर को उसके यहां मिले ऐसी बीमारी के मरीज की जानकारी चिकित्सा विभाग को देनी होती है।
अस्पतालों से भी लिखकर आ रही सादा पर्चियां
जयपुर शहर के मेडिकल स्टोर्स पर इन दिनों अस्पतालों से भी सीधे कोविड जांच के लिए सादा कागज पर लिखी जांच पर्चियां पहुंच रही है। जिसमें मरीजों को यह जांच खुद करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
रिकॉर्ड संधारण का प्रावधान नहीं
जांच किट है इसमें रिकॉर्ड संधारण का प्रावधान नहीं है। अभी बाजार में जो कोविड जांच किट बिक रहे हैं, सीधे मेडिकल स्टोर्स संचालक बल्क में खरीदकर लोगों को बेच रहे हैं।
– अजय फाटक, औषधि नियंत्रक, राजस्थान
रखना चाहिए रिकॉर्ड
हम राज्य सरकार की ओर से अधिकृत कोविड जांच लैबों के नमूने ही रिपोर्ट में शामिल करते हैं। इसके अलावा अन्य को नहीं, बाजार में बिक रहे हैं तो यह देखना औषधि नियंत्रण संगठन का काम है। ऐसी दुकानों पर ऐसे लोगों का रिकॉर्ड रखा जाना चाहिए।
– डॉ. रविप्रकाश शर्मा, अतिरिक्त निदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग