दावे में देवराज व लालित्या देवी ने अपनी दादी गायत्री देवी की वसीयत को सही बताते हुए उसके अनुसार ही उन्हें चल व अचल संपत्तियों में हकदार मानने के लिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र (प्रोबेट) जारी करने का आग्रह किया गया था। इस मामले में पृथ्वीराज सिंह, विजित सिंह सहित जयसिंह व उर्वशी देवी पक्षकार है।
मामले से जुडे अधिवक्ता रामजीलाल गुप्ता ने बताया कि एक जून को वादी के वकील ने कोर्ट से आगामी सुनवाई पर वरिष्ठ अधिवक्ता के बहस के लिए आने की बात कही थी। कोर्ट ने वादी के वकील के आग्रह पर बहस के लिए 5 जुलाई को सुबह 11.30 बजे का समय तय किया था, लेकिन दोपहर 12 बजे तक देवराज व लालित्या की ओर से पैरवी के लिए कोई वकील कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआ। इस पर प्रतिवादियों के वकील ने कहा कि वादी पक्ष ने खुद पैरवी के लिए समय तय किया और वे खुद ही मौजूद नहीं हैं। इसलिए उनका दावा खारिज किया जाए।
इस पर कोर्ट ने देवराज व लालित्या देवी के दावे को खारिज करते हुए उसे दाखिल दफ्तर कर दिया। गौरतलब है कि पूर्व राजपरिवार की राजमाता गायत्री देवी की जुलाई 2009 में मृत्यु के साथ ही उनकी संपत्तियों पर कब्जा और उनके परिवार से जुड़े उत्तराधिकार व संपत्ति, वसीयत और लिलीपूल पर कब्जे के कई विवाद सामने आए थे।
बहाली के लिए पेश करेंगे प्रार्थना पत्र
देवराज और लालित्या के अधिवक्ता रजत रंजन का कहना है कि वे मामले की सुनवाई का समय पता नहीं होने के कारण कुछ देरी से कोर्ट पहुंचे, लेकिन कोर्ट ने तब तब दावे को खारिज कर दिया। अब इस दावे की बहाली के लिए जल्द ही प्रार्थना पत्र पेश किया जाएगा।