5 हज़ार करोड़ का घोटाला
सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग (आईटी) व राजकॉम्प में कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा भाजपा की ओर से पुरज़ोर तरीके से उठाया जा रहा है, जिसका नेतृत्व भाजपा के राज्यसभा सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा कर रहे हैं। डॉ मीणा ने इन दो महकमों में 5 हज़ार करोड़ का घोटाला होने के संगीन आरोप लगाए हैं।
हैरान करने वाली बात तो ये भी है कि कथित भ्रष्टाचार के लगाए गए आरोपों में एक आरोप मुख्यमंत्री के कथित रिश्तेदार भी है। हालांकि वे रिश्तेदार के दावे को साबित नहीं कर पाए।
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ईडी दफ्तर पहुंचे सांसद, दर्ज करवाई शिकायत
सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने जहां मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस करके सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग (आईटी) व राजकॉम्प में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, तो वहीं तय कार्यक्रम के अनुसार बुधवार को वे जयपुर स्थित ईडी के दफ्तर पहुंचे और अपनी शिकायत दर्ज करवाई। सांसद ने ईडी अफसरों को इन प्रकरणों से जुड़े तमाम पहलुओं पर अपना पक्ष रखा, साथ ही कुछ संबंधित दस्तावेज़ भी पेश किये। सांसद ने ईडी अफसरों से इस प्रकरण को गंभीर मानकर हस्तक्षेप करने की मांग की और इस शिकायत पर मामला दर्ज कर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भी आग्रह किया।
सांसद डॉ मीणा परिवादी जितेंद्र मकराना को साथ लेकर ईडी दफ्तर पहुंचे। यहां मीडिया से बातचीत में उन्होंने गहलोत सरकार पर भ्रष्टाचार को लेकर कई आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों में बड़े पैमाने हुआ है, लेकिन सरकार जांच को आगे नहीं बढ़ा रही है।
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सांसद किरोड़ी के 6 बड़े आरोप-
– प्रदेश में वाई-फाई डिवाइस लगाने व मैनपावर उपलब्ध करवाने में घोटाला हुआ
– मैनपावर में विभाग के एक अधिकारी की पत्नी को कर्मचारी बताकर लाखों रुपए उठाये
– प्रदेश के बाहर जाने पर 4 लाख का प्रतिदिन का खर्च बताया
– 5000 करोड़ के घोटाले में विभाग के कई अफसर शामिल
– सीएम के कथित रिश्तेदार राजकॉम्प में मैनेजर के पद पर, जो सीएमओ और सीएमआर में काम देखते हैं
– आईटी के काम राजेश सैनी देखते हैं और सारे बिल बेटी के नाम से उठते हैं
ब्यूरोक्रेसी में चल रहा तनाव
मीणा ने कहा कि गहलोत ने सत्ताधारी दल के प्रत्येक एमएलए को संबंधित विधानसभा क्षेत्र का मुख्यमंत्री बना दिया है। इनके विधायक और मंत्रियों के साथ ब्यूरोक्रेसी में जो तनाव चल रहा है, उसमें राजस्थान की जनता ***** रही है। सत्ताधारी दल के लोग मिलकर राजस्थान की जनता को लूट रहे हैं।
पेपर लीक मामले में ईडी की एंट्री जायज
किरोड़ी लाल ने राजस्थान में ईडी की एंट्री को जायज बताया। उन्होंने कहा कि ईडी के पास कई बड़े अधिकारियों और राजनेताओं के नाम है। एसओजी के जांच अधिकारी भी ईडी की जांच की जद में आएंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को परेशान नहीं होना चाहिए। क्योंकि वो खुद करप्शन के खिलाफ जीरो टोलरेंस रखते हैं।
पेपर लीक प्रकरण: 28 ठिकानों पर दूसरे दिन भी कार्रवाई
पेपर लीक प्रकरण में ईडी की कार्रवाई मंगलवार को दूसरे दिन प्रदेशभर में 28 ठिकानों पर जारी रही। अधिकारियों को आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा, पेपर लीक मामले में फरार चल रहे सुरेश ढाका और सुरेश विश्नोई के घर से अहम दस्तावेज हाथ लगे हैं। टीम ने दो दर्जन से ज्यादा टैब और लैपटॉप जब्त किए हैं। बैंक स्टेटमेंट और मोबाइल फोन का डेटा भी खंगाला जा रहा है।
प्रारंभिक जांच में आरोपियों से जुड़े कुछ नए लोगों की जानकारी सामने आई है। इस बीच अब आरपीएससी के अन्य सदस्यों को भी पूछताछ का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि ईडी को संदेह है कि कटारा बिना किसी की सहायता के इतने बड़े पैमाने पर घोटाले को अंजाम नहीं दे सकता।
ईडी का ध्यान संजीवनी पर क्यों नहीं जाता?: गहलोत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि लड़ाई विचारधारा की होती है। पेपर लीक में जांच करने वाली ईडी का ध्यान संजीवनी घोटाले पर क्यों नहीं जा रहा है। संजीवनी घोटाले में गरीबों के पैसे भी विदेश में लगे हुए हुए है। उनकी जांच करनी चाहिए। वो (केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत) खुद इस बात को अच्छे से जानते हैं कि एक लाख से अधिक पीड़ितों की जिंदगीभर की जमापूंजी के करीब 900 करोड़ रुपए से अधिक की राशि को संजीवनी सोसायटी ने लूटा है। इस मामले में संपत्ति जब्त करने के अधिकार एसओजी के पास न होकर प्रवर्तन निदेशालय के पास हैं। एसओजी ने गत दो वर्षों में ईडी को 5 बार संजीवनी सोसायटी से जुड़ी संपत्ति जब्त करने का आग्रह किया है, लेकिन देशभर में विपक्षी नेताओं के घर छापे मारने वाली ईडी ने अभी तक संजीवनी घोटाले के आरोपियों की संपत्ति जब्त नहीं की है।