विद्युत उत्पादक परियोजना की कार्ययोजना बने
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि समय की मांग और भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए तापीय विद्युत गृहों के साथ ही हाइड्रों व अन्य तकनीक पर आधारित विद्युत उत्पादक परियोजना की कार्ययोजना बनानी होगी, ताकि कोयले पर निर्भरता कम होने, ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने और विद्युत उत्पादन लागत को कम किया जा सके। विभाग के पास इस तरह की रिसर्च टीम विकसित होनी चाहिए, जो देश दुनिया में विद्युत उत्पादन की आ रही नई तकनीकों का अध्ययन कर प्रदेश के लिए उपयोगी परियोजनाओं का खाका तैयार कर सके। हमें प्रदेशवासियों को निर्बाध बिजली उपलब्ध करानी है तो बिजली उत्पादन की लागत को कम करने के भी गंभीर प्रयास करने होंगे।
कोल संकट के दौरान प्रदेश में दोहरा संकट
राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के सीएमडी श्री आरके शर्मा ने बताया कि राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की प्रदेश में थर्मल, गैस, हाईड्रल और लिग्नाइट आधारित विद्युत उत्पादन की 8597 मेगावाट क्षमता स्थापित है। उन्होंने ने बताया कि इनमें से 7580 मेगावाट के थर्मल आधारित विद्युत तापीय गृह स्थापित है। उन्होंने बताया कि कोल संकट के दौरान प्रदेश में दोहरा संकट आ गया था एक और कोयले की कमी के कारण इकाइयों का उत्पादन प्रभावित हो रहा था तो दूसरी और तकनीकी व अन्य कारणों से कई यूनिटों मेें उत्पादन नहीं हो रहा था। उन्होंने बताया कि विद्युत उत्पादन निगम ने इन परिस्थितियों को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार के सहयोग से व निर्देशन में कोल संकट से प्रभावी तरीके से निपटने के प्रयास किए वहीं चरणवद्ध तरीके से बंद इकाइयों में बहुत ही कम समय में विद्युत उत्पादन आंरभ किया। प्रदेश की एक इकाई को छोड़कर लगभग सभी इकाइयों में विद्युत उत्पादन होने लगा है। नई तकनीक वाली यूनिट की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है, वहीं अनावश्यक खर्चों को सीमित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।