दरअसल, चुनाव पर जाने से पहले सरकार विभिन्न समाजों को साधने की मंशा पर आगे बढ़ती दिख रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा इन बोर्डों के लंबित प्रस्तावों को मंज़ूरी दी गई है। इन बोर्डों के गठन को लेकर सामाजिक संस्थाएं पुरज़ोर मांग करती आ रहीं थीं।
चर्म व्यवसाय को सम्बल मिलने का दावा
राजस्थान सरकार का दावा है कि चर्म शिल्प कला विकास बोर्ड की स्वीकृति से चर्म व्यवसाय से संबंधित व्यक्तियों के जीवन स्तर में वृद्धि होगी और उनका आर्थिक विकास सुनिश्चित हो सकेगा। इस बोर्ड के गठन से राज्य के औद्योगिक विकास में इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित होगी। साथ ही, उनके कार्यस्थल एवं विकास स्थल पर समस्त आधारभूत सुविधाओं यथा सड़क, पानी, बिजली, चिकित्सा, शिक्षा, उत्पादों के विपणन हेतु मार्केटिंग सेन्टर विकसित हो सकेंगे।
इस व्यवसाय से जुड़े व्यक्तियों को आधुनिक तकनीक आधारित चर्म रंगाई एवं अन्य उत्पादों हेतु देश में प्रतिष्ठित संस्थाओं के माध्यम से कौशल प्रशिक्षण दिलाने की व्यवस्था भी की जा सकेगी।
बोर्ड के माध्यम से इस व्यवसाय से जुड़े व्यक्तियों की सामाजिक सुरक्षा हेतु योजनाएं बनेंगी एवं उनका समयबद्ध क्रियान्वयन होगा। इस व्यवसाय से जुड़े व्यक्तियों के विकास हेतु समुचित वित्तीय सहयोग एवं बैंकों से वित्त का प्रबंध भी हो सकेगा।
चर्म उत्पादों की सरकारी खरीद में निविदा प्रक्रिया से मुक्त रखने का कार्य भी बोर्ड द्वारा किया जा सकेगा। चर्म उत्पादों की खरीद व तकनीकी प्रौद्योगिकी में सहयोग के अलावा फुटवियर निर्माण एवं चर्म उत्पादों को प्रोत्साहन मिलेगा। जिला/राज्य स्तर पर सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन एवं उनके वित्तीय प्रबंधन से संबंधित कार्य किए जाएंगे। राजस्थान में पंजीकृत चर्म दस्तकार, बोर्ड में पंजीयन करवाकर योजनाओं का लाभ ले सकेंगे।
सामाजिक-शैक्षणिक स्तर में होगी वृद्धि
राजस्थान राज्य महात्मा ज्योतिबा फुले बोर्ड के गठन से काछी, कुशवाह, माली, सैनी जैसे बागवान समाज के विभिन्न वर्गों के सामाजिक व शैक्षणिक स्तर में वृद्धि होने का दावा किया जा रहा है। इस नवगठित बोर्ड द्वारा इनकी आर्थिक अभिवृद्धि के लिए विभिन्न योजनाएं प्रस्तावित की जाएगी तथा आवश्यक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी।
बोर्ड के गठन से बागवान समाज के लिए विभिन्न विकास एवं कल्याण से संबंधित योजनाओं का प्रारूप तैयार हो सकेगा तथा इन वर्गों की कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ ही उनके परम्परागत व्यवसाय को भी अधिक लाभदायक स्थिति में लाया जा सकेगा।
रजक कल्याण बोर्ड को भी मंज़ूरी
राजस्थान राज्य रजक कल्याण बोर्ड का भी गठन किया गया है। रजक समाज के विभिन्न वर्गों की स्थिति का जायजा लेने के बाद प्रामाणिक सर्वे रिपोर्ट के आधार पर इन वर्गों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने और इनकी समस्याओं की पहचान कर उन्हें दूर करने के लिए सुझाव देने के उद्देश्य से इस बोर्ड का गठन किया गया है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की इस मंजूरी से राजस्थान राज्य रजक कल्याण बोर्ड का गठन और राज्य में रजक समाज के लिए संचालित कल्याणकारी योजनाओं के लिए विभिन्न विभागों से समन्वय बढ़ने और परम्परागत व्यवसाय के वर्तमान हालात में बदलाव लाकर इसे और अधिक सुदृढ़ बनाया जा सकेगा।
अब बनेंगी नई योजनाएं
राजस्थान चर्म शिल्प कला विकास बोर्ड का प्रशासनिक विभाग उद्योग एवं वाणिज्य विभाग होगा तथा राजस्थान राज्य रजक कल्याण बोर्ड व राजस्थान राज्य महात्मा ज्योतिबा फुले बोर्ड का गठन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अन्तर्गत होगा।
इन बोर्ड के गठन से प्रदेश के विभिन्न वर्गों के उत्थान के लिए नवीन योजनाएं बनाई जा सकेंगी तथा उनके उत्थान के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकेंगे। इससे हर वर्ग का पिछड़ापन समाप्त हो सकेगा तथा हर वर्ग सर उठाकर जीवनयापन कर सकेगा।