जयपुर

ई-गेमिंग की लत से दांव पर कॅरियर, अपराध में फंस रहे बच्चे

ई-गेमिंग के जाल में फंसकर बच्चे खुद का कॅरियर और परिवारजनों की उम्मीदें दांव पर लगा रहे हैं। कई बच्चे ऐसे भी हैं, जिनको ऑनलाइन गेम की लत ने इतना जकड़ लिया कि वे अपराध के दलदल फंसते जा रहे हैं। शहर के पुलिस-थानों में सैकड़ों ऐसे मामले रिकॉर्ड में हैं।

जयपुरMar 27, 2023 / 09:48 am

Santosh Trivedi

पत्रिका न्यूज नेटवर्क/जयपुर. ई-गेमिंग के जाल में फंसकर बच्चे खुद का कॅरियर और परिवारजनों की उम्मीदें दांव पर लगा रहे हैं। कई बच्चे ऐसे भी हैं, जिनको ऑनलाइन गेम की लत ने इतना जकड़ लिया कि वे अपराध के दलदल फंसते जा रहे हैं। शहर के पुलिस-थानों में सैकड़ों ऐसे मामले रिकॉर्ड में हैं।

कोविड के बाद अभिभावकों ने बच्चों को पढ़ाई के लिए स्मार्टफोन दिया, लेकिन निगरानी नहीं होने के कारण बच्चों ने फोन का गलत इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। ऑनलाइन गेम खेलकर पैसा कमाने का शौक जहां बच्चों को मानसिक रोगी बना रहा है वहीं, अभिभावकों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है।

स्कूल प्रबंधन, पुलिस और अभिभावकों की जिम्मेदारी
स्कूल: स्कूल में अगर ऐसे बच्चे नजर आएं तो प्रबंधन उन बच्चों की काउंसलिंग करे। इसके अलावा बच्चे की संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी अभिभावकों को दें।

अभिभावक: बच्चों पर नजर रखें और मोबाइल को हमेशा जांचते रहें। बच्चे की भूमिका असहज दिखे तो स्कूल और उसके दोस्तों से संपर्क कर पूछताछ करें। बच्चे की काउंसलिंग कराएं।

पुलिस: ऐसे मामले आने पर पुलिस महज खानापूर्ति नहीं करे। पुलिस अधिकारी बच्चों को बुलाकर दुष्प्रभाव और इस जाल से निकालना सुुनिश्वित करें।

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केस 1 ई-गेमिंग से खतरे में पड़ा कॅरियर
मालवीय नगर निवासी रमेश शर्मा (परिवर्तित नाम ) बाहर जॉब करते हैं। उनके बेटे को 11वीं कक्षा में ई-गेमिंग का शौक लग गया। इसके जरिए पैसे कमाने की लत ऐसी पड़ी कि पढ़ाई से भी ध्यान हट गया। स्कूल से शिकायत आई तो घर वालों को पता लगा। पिता और बडे भाई ने अपनी नौकरी से छुट्टी ली। अधिकतर समय बेटे के साथ बिताया और मनोचिकित्सक की मदद से काउंसलिंग शुरू की। करीब सात माह बाद वह ठीक हो पाया।

केस 2 – माता-पिता के मोबाइल फोन हैक किए
13 वर्षीय बालक को ऑनलाइन गेम की ऐसी लत लगी कि उसने अपने ही घर में साइबर हमला कर दिया। बच्चे ने अपने माता-पिता के मोबाइल फोन हैक कर दिए। सारा डाटा डिलीट कर दिया। माता पिता के सोशल मीडिया अकाउंट पर कई अश्लील पोस्ट कर दीं। घबराए परिजन पुलिस के पास पहुंचे। मामला जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के साइबर सेल तक पहुंचा। जांच में पता चला कि साइबर हमले की यह हरकत किसी हैकर की नहीं, बल्कि उन्हीं के घर के बच्चे की है।

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4 से 6 घंटे तक का समय बच्चे मोबाइल में ही निकाल रहे
35 फीसदी बच्चे स्मार्टफोन डिवाइस का इस्तेमाल करते
15 केस औसतन सामने आ रहे हैं जयपुर में हर महीने

ई-गेमिंग के मामले शहर में खूूब देखने को मिल रहे हैं। महीने में आठ से दस केस ऐसे आ रहे हैं। अभिभावक सतर्क रह कर बच्चों पर नजर रखें।
आलोक त्यागी, मनोचिकित्सक, एसएमएस अस्पताल

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