नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि सरकार का अविवेकपूर्ण निर्णय है। सरकार यह कहे कि आपातकाल लगना सही था। उस समय इंदिरा गांधी के खिलाफ जिसने भी प्रतिक्रिया दी, उनको 18 महीने जेल में रखा। क्या दोष था जेल में जाने वाले लोगों का। आज जो लीडर है, उनके एक भी बता दो जो जेल जाकर आया हो। इमरजेंसी पर सेंसरशिप को बचाने के लिए 14 नवंबर 1975 को आंदोलन छेड़कर जेल की सींखचों में भेजा। ये आंदोलन साधारण आंदोलन नहीं है। आंदोलन करके अपने परिवार को कष्टों में डाला था। नौकरियां खत्म हुई। राज्य सरकार स्वीकार कर लें कि इंदिरा गांधी इमरजेंसी सही लगाई थी। हिन्दुस्तान की जनता निर्णय कर देगी।
विधायक कालीचरण सराफ ने कहा कि तानाशाही ताकतों ने भारत में आपातकाल लगाया था। इसके खिलाफ लोकतांत्रिक व्यवस्था के समर्थक एकजुट हुए थे, जिन्होंने सत्याग्रह किया था। देश की आजादी के बाद लोकतंत्र बचाने का यह सबसे बड़ा आंदोलन था। इन्हें लोकतंत्र के सेनानी माना गया था और इनके लिए पेंशन भी शुरू की गई। खुद सोनिया गांधी ने आपातकाल को कांग्रेस की भूल माना था, एेस में सरकार ने मीसा बंदियों की पेंशन बंद करके लोकतंत्र का मजाक उड़ाया है। सरकार को यह फैसला वापस लेना चाहिए, नहीं तो जनता इन्हें माफ नहीं करेगी।