कोर्ट ने सड़क की जमीन अलॉट करने ओर नियमितीकरण करने की यूआईटी कोटा की कार्रवाई का गैरकानूनी करार करते हुए याचिका निस्तारित कर दी। गौरतलब है कि कोटा शहर की सबसे व्यस्त सड़कों में शामिल दोनों रोड की चौड़ाई कम करके फायदा पहुंचाने का राजस्थान पत्रिका ने सिलसिलेवार तरीके से 20 सितंबर, 21 सितंबर और 22 सितंबर 2019 को उजागर किया था। जिसमें बताया था कि किस तरह से सभी नियम कायदों और जनहित को पूरी तरह से ताक में रख दिया गया है।
सड़क की चौड़ाई कम करने के मामले के खुलासा करने के बाद पत्रिका की खबरों को आधार बनाकर कोटा निवासी अनिल सुवालिका ने राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता इस याचिका में कहा है कि भाजपा से विधायक रहे प्रहलाद गुंजल की पत्नी के मकान को बचाने के लिए दो प्रमुख सड़कों की चौड़ाई को कम कर दिया गया। राज्य स्तरीय भूमि उपयोग परिवर्तन कमेटी ने कोटा के जीएडी सर्किल से शिवपुरा रोड़ जिसकी चौड़ाई 160 फीट थी उसे घटाकर 120 फीट कर दी। वही जीएडी सर्किल से केशवपुरा रोड़ की 100 से 80 फीट कर दी।
याचिकाकर्ता का कहना है कि इन सड़कों के बीच विधायक की पत्नी के नाम वाले मकान को बचाने के लिए चौड़ाई को घटाया गया है। भूमि उपयोग परिवर्तन समिति ये फैसला तत्कालिन सत्ताधारी विधायक के प्रभाव में किया गया है। जबकि राजस्थान भू उपयोग परिवर्तन रूल्स 2010 के अनुसार सड़क की चौड़ाई को कम करके भू उपयोग नहीं किया जा सकता है। वकीलों के कार्यबहिष्कार की वजह से कोर्ट ने फाइल और खबरें देखने के बाद माना सड़क की जमीन अलॉट करने और नियमतिकरण करने की प्रक्रिया को अवैध माना। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और न्यायाधीश अनिल उपमन की खंडपीठ ने माना कि मास्टर प्लान के खिलाफ जाकर सड़क की चौड़ाई को कम नहीं किया जा सकता है।
एसटी की जमीन नहीं ले सकते राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा था कि एसटी की जमीन को अन्य वर्ग का कोई व्यक्ति नहीं खरीद सकता है। कोर्ट ने भी माना कि मीना वर्ग की जमीन जयकंवर के नाम से खरीदना गलत है।