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अस्पताल प्रशासन की अनदेखी भारी: पूछताछ में पता चला कि दोनों रक्तवाहिनी की मरम्मत में ज्यादा खर्चा नहीं आएगा, लेकिन मेडिकल कॉलेज व अस्पताल प्रशासन की अनदेखी के चलते ऐसे हालात बने हुए हैं। दोनों रक्तवाहिनी को दस वर्ष से ज्यादा समय हो गया। इस कारण अस्पताल प्रशासन रक्तवाहिनी के रख-रखाव पर ध्यान नहीं दे रहा है।
इधर, मौसमी बीमारियों ने बढ़ाई चिंता: गर्मी और बारिश में काफी कम लोग ब्लड डोनेट करते हैं, जबकि इन दिनों डेंगू, मलेरिया, स्क्रब टाइफस समेत कई गंभीर बीमारियां प्रकोप दिखाती हैं। इस कारण ब्लड, प्लेटलेट्स की मांग दोगुनी हो जाती है। मांग के अनुसार ब्लड की आपूर्ति करना ब्लड बैंक प्रशासन के लिए सिरदर्दी हो जाती है। ऐसे में रक्तवाहिनी ठीक हो जाए तो, काफी हद तक राहत मिल सकती है।
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रोजाना 200 यूनिट तक ब्लड हो रहा था उपलब्ध: इन दोनों रक्तवाहिनी के खराब होने से एसएमएस में रक्तदान शिविरों के जरिए आने वाले ब्लड की यूनिट काफी कम हो गई है। पहले इन दोनों रक्तवाहिनी को रक्तदान शिविरों में भेजने से रोजाना 150 से 200 यूनिट ब्लड उपलब्ध हो जाता था। अब ब्लड का टोटा होने लगा है। इस कारण गंभीर मरीजों को भी ब्लड के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
दोनों रक्तवाहिनी को ठीक करवाने के लिए मेडिकल कॉलेज व अस्पताल प्रशासन को पत्र लिख चुके हैं। ठीक होने के बाद काफी राहत मिलेगी। अभी ब्लड बैंक में बाहर से ब्लड की आपूर्ति कम हो रही है। – डॉ. बीएस मीणा, इंचार्ज, ब्लड बैंक, एसएमएस