ज्ञानदेव आहूजा ने कहा कि मैं पार्टी का आधिकारिक प्रवक्ता नहीं हूं। मगर मैंने सुना है कि बसपा के विधायक यहां खुश नहीं हैं। इसी तरह कांग्रेस के भी 20-25 विधायक खुश नहीं हैं। हालांकि, उन्होंने इससे ज्यादा कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया है।
इससे पहले राजस्थान में कांग्रेस सरकार को समर्थन देने वाले बसपा के छह विधायकों ने सोमवार सुबह जयपुर में बैठक की। यह बैठक राज्यपाल से मुलाकात के संदर्भ में की गई। इसमें बसपा विधायकों ने राज्य के मंत्रियों और अफसरों की कार्यशैली से नाराजगी भी व्यक्त की।
तय हुआ कि शाम 4 बजे राज्यपाल से मुलाकात की जाएगी। इस बीच राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा आम हो गई कि बसपा सरकार से समर्थन वापसी का फैसला कर चुकी है। ऐसा इसलिए हुआ चूंकि अलवर में दलित युवती से गैंगरेप के बाद बसपा प्रमुख मायावती पहले ही नाराजगी जता चुकी हैं। बसपा के प्रदेश स्तरीय नेता भी इसे लेकर कांग्रेस को सियासी फैसले की चेतावनी दे चुके हैं।
बैठक के बाद एक विधायक ने बताया कि बसपा द्वारा बाहर से समर्थन देते समय सरकार ने उनकी सुनवाई और काम करने का वादा किया था। पांच महीने के दौरान कुछ मंत्रियों एवं अफसरों का उपेक्षापूर्ण रवैया रहा। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष सीतराम मेघवाल और विधायक जोगेन्द्र सिंह अवाना ने कहा कि राज्यपाल से मिलने का कार्यक्रम पहले से तय था। उनसे शिष्टाचार के नाते मिलने जा रहे थे। लोकसभा चुनाव समाप्त हो गए और आचार संहिता भी हट चुकी है। इसी वजह से राजभवन से हमें अब समय मिला था। अवाना ने बताया कि एक विधायक की तबीयत खराब होने के चलते यह कार्यक्रम फिलहाल स्थगित कर दिया गया है।
करौली से बसपा विधायक लाखन सिंह ने बताया कि सरकार को बने हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है। इस दौरान चुनाव आ गए, अब सरकार फिर से पटरी पर आएगी। हमारी नाराजगी ऐसी नहीं है कि सरकार से समर्थन वापस लिया जाए। कुछ मंत्री और अफसर अच्छे हैं, जो सभी की सुनते हैं। कई मंत्री-अफसर हमारी तो उनकी पार्टी के विधायकों तक की नहीं सुनते हैं, उनकी शिकायत हम मुख्यमंत्री अशोह गहलोत से करेंगे। हमारा समर्थन सरकार को है, ऐसे में हमारे क्षेत्रों में काम होना चाहिए।