टिकट नहीं देने की बात की, फिर भी दे दिए
भाजपा राजस्थान प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने कहा था कि संगठन में काम करने वाले पदाधिकारी चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सांसद भागीरथ चौधरी अभी प्रदेश किसान मोर्चा के अध्यक्ष भी हैं। इन्हें किशनगढ़ से मैदान में उतारा गया। इसी तरह पार्टी में प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा को सांगानेर, दीया कुमारी को विद्याधर नगर से टिकट दिया गया। प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष अहलावत को सूरजगढ़ से,जितेन्द्र गोठवाल को खंडार, प्रदेश मंत्री हीरालाल नागर को सांगोद, कृष्णा कटारा को बागीदौरा से टिकट दिया गया है।
दल-बदल
कांग्रेस से हाल ही भाजपा में शामिल हुई ज्योति मिर्धा को नागौर से उतारा गया है।
क्रिमिनल केस, उन्हें भी टिकट
अब तक घोषित 124 प्रत्याशियों में से 15 प्रतिशत का आपराधिक रिकॉर्ड है। पहली सूची में से 8 और अब दूसरी सूची में से 10 प्रत्याशियों पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं।
यहां विरोध का पुरस्कार
विद्याधर नगर सीट से विधायक नरपत सिंह राजवी का टिकट काट दिया गया। उन्होंने विरोध किया तो पार्टी सक्रिय हुई। प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह और संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर आवास पर मिलने पहुंचे। दूसरी सूची में राजवी को चित्तौड़गढ़ से टिकट दे दिया। यहां से पिछले दो बार से विधायक चन्द्रभान सिंह आक्या का टिकट काट दिया गया।
राठौड़ ने बदली सीट
नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने इस बार सीट बदलने की गुजारिश की और उसे मान लिया गया। राठौड़ ने पिछला चुनाव चूरू से लड़ा था। इस बार वे तारानगर से लड़ेंगे।
हमने साफ छवि और जिताऊ को टिकट दिया: अरुण सिंह
विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए भाजपा ने दो मुख्य पैमाने रखे। एक जनता में साफ सुथरी छवि और दूसरा जिताऊ होना। दो सूचियां घोषित की है, आगे भी इसी पैमाने पर टिकट वितरण होगा। जहां तक टिकट कटने से कुछ जगहों पर नाराजगी की बात है तो चुनाव के दौरान यह स्वाभाविक सी बात है। भाजपा के पास सभी सीटों पर मजबूत दावेदारों की भरमार है, लेकिन किसी सीट पर टिकट तो किसी एक को ही मिलता है। जो नाराज होते हैं, उन्हें पार्टी मना भी लेती है। राजस्थान में पार्टी पूरी तरह से एकजुट होकर चुनाव लड़ रही है।
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ऐसे बढ़ी वंशवाद की बेल
– भाजपा से सांसद का चुनाव लड़ने वाले कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय बैंसला देवी-उनियारा से प्रत्याशी।
– मुण्डावर से प्रत्याशी मंजीत धर्मपाल चौधरी (मौजूदा विधायक) के पिता धर्मपाल चौधरी विधायक रह चुके हैं।
– डीग-कुम्हेर सीट से फिर शैलेश सिंह को उतारा। इनके पिता दिगम्बर सिंह भाजपा सरकार में मंत्री थे।
– नसीराबाद से प्रत्याशी रामस्वरूप लांबा (मौजूदा विधायक) हैं। इनके पिता प्रो. सांवरलाल जाट केन्द्र और राज्य दोनों सरकारों में मंत्री रह चुके।
– धरियावाद से प्रत्याशी कन्हैयालाल मीणा को टिकट दिया गया। इनके पिता गौतमलाल मीणा पूर्व विधायक रह चुके हैं।
– प्रतापगढ़ से प्रत्याशी हेमंत मीणा को इस बार भी चुनाव मैदान में उतारा, पिछली बार यहीं से हार गए थे। इनके पिता नंदलाल मीणा पूर्व सांसद रहे और तत्कालीन राज्य सरकार में मंत्री रहे।
– राजसमंद से किरण माहेश्वरी की जगह उनकी बेटी दीप्ति माहेश्वरी को उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया। अब फिर से वही प्रत्याशी हैँ।
– नाथद्वारा से प्रत्याशी विश्वराज सिंह मेवाड़ के पिता महेन्द्र सिंह मेवाड़ पूर्व सांसद थे। भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के तीन दिन बाद ही टिकट मिला।
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विरोध में लड़े और अब पुरस्कार
– नवलगढ़ से पिछला चुनाव निर्दलीय लड़ने वाले विक्रम सिंह जाखल को प्रत्याशी बनाया।
– हंसराम पटेल गुर्जर ने पिछला चुनाव कोटतूतली से निर्दलीय लड़ा और अब पार्टी ने टिकट दे दिया।
– देवीसिंह शेखावत बानसूर से बागी होकर लड़े, अब भाजपा ने उसी चेहरे पर विश्वास जताया।
– पिछले चुनाव में माण्डल से निर्दलीय ताल ठोकने वाले उदयलाल भडाणा अब वहीं से प्रत्याशी।
– थानागाजी से हेम सिंह भडाना बागी होकर चुनाव लड़े थे, अब उन्हें ही प्रत्याशी बनाया।
एंट्री करते ही टिकट
– रिटायर्ड आईएएस चन्द्रमोहन मीणा को बस्सी से टिकट मिला।
– फतेहपुर से श्रवण चौधरी को टिकट मिला।