ईआरसीपी निगम को झटका, बिना एनओसी काम नहीं
एनजीटी के न्यायिक सदस्य सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफ़रोज़ अहमद की बैंच ने जोधपुर निवासी दिनेश बोथरा की याचिका पर यह आदेश दिया। ट्रिब्यूनल ने कहा कि पर्यावरणीय मंजूरी मिलने तक परियोजना प्रस्तावक को बीसलपुर बांध के डूब क्षेत्र में ड्रेजिंग, डीसिल्टिंग गतिविधि, बजरी मिश्रित मिट्टी निकालने और अन्य खनन गतिविधियां शुरू करने से रोक दिया जाए। पर्यावरणीय मंजूरी जारी होने तक इन गतिविधियों को मंजूरी नहीं दी जाए। परियोजना प्रस्तावक को कार्य शुरू करने से पहले सभी पर्यावरणीय कानूनों का पालन करना होगा, जिसमें सभी प्रकार की अनुमति और एनओसी भी शामिल होगी। याचिका में बीसलपुर बांध से 20 साल के लिए बजरी निकालने की निविदा को चुनौती दी थी।
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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संजीत पुरोहित ने एनजीटी को बताया कि ईआरसीपी निगम ने बीसलपुर बांध से डीसिल्टिंग के नाम पर ऑनलाइन निविदाएं मांगी। इसके जरिए बजरी खनन किया जाना बताया, लेकिन बीसलपुर बांध के डूब क्षेत्र में ड्रेजर जैसे यांत्रिक साधनों का उपयोग किया जाएगा। दीर्घ अवधि निविदा के लिए रेत खनन प्रबंधन, प्रवर्तन व निगरानी संबंधी दिशानिर्देशों की पालना नहीं की गई और न ही जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार की गई। बीसलपुर में डीसिल्टिंग की आड़ में यह ठेका दिया गया, जबकि नियमानुसार पर्यावरणीय मंजूरी बिना बजरी का दीर्घकालीन वाणिज्यिक खनन नहीं हो सकता।