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जयपुर

Bisalpur Dam: ईआरसीपी निगम को झटका, बिना पर्यावरण मंजूरी 20 साल तक बजरी खनन की अनुमति देने पर रोक

Bisalpur Dam: पर्यावरणीय मंजूरी लिए बिना ही टोंक जिले के बीसलपुर बांध से 20 सालों के लिए बजरी खनन का ठेका देने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राज्य सरकार को झटका दिया है।

जयपुरNov 28, 2023 / 07:21 am

Kirti Verma

BISALPUR DAM

Bisalpur Dam: पर्यावरणीय मंजूरी लिए बिना ही टोंक जिले के बीसलपुर बांध से 20 सालों के लिए बजरी खनन का ठेका देने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राज्य सरकार को झटका दिया है। एनजीटी ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना निगम लिमिटेड (ईआरसीपीसीएल) को निर्देश दिया कि पर्यावरणीय मंजूरी मिलने तक परियेाजना प्रस्तावक को बांध से मिट्टी निकालने (डीसिल्टिंग), उसके लिए भारी भरकम मशीन लगाने (ड्रेजिंग) और बजरी निकालने की अनुमति से रोक दिया जाए। साथ ही, राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल से कहा कि पर्यावरणीय कानूनों का पालन नहीं करने पर कार्रवाई की जाए।

ईआरसीपी निगम को झटका, बिना एनओसी काम नहीं
एनजीटी के न्यायिक सदस्य सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफ़रोज़ अहमद की बैंच ने जोधपुर निवासी दिनेश बोथरा की याचिका पर यह आदेश दिया। ट्रिब्यूनल ने कहा कि पर्यावरणीय मंजूरी मिलने तक परियोजना प्रस्तावक को बीसलपुर बांध के डूब क्षेत्र में ड्रेजिंग, डीसिल्टिंग गतिविधि, बजरी मिश्रित मिट्टी निकालने और अन्य खनन गतिविधियां शुरू करने से रोक दिया जाए। पर्यावरणीय मंजूरी जारी होने तक इन गतिविधियों को मंजूरी नहीं दी जाए। परियोजना प्रस्तावक को कार्य शुरू करने से पहले सभी पर्यावरणीय कानूनों का पालन करना होगा, जिसमें सभी प्रकार की अनुमति और एनओसी भी शामिल होगी। याचिका में बीसलपुर बांध से 20 साल के लिए बजरी निकालने की निविदा को चुनौती दी थी।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संजीत पुरोहित ने एनजीटी को बताया कि ईआरसीपी निगम ने बीसलपुर बांध से डीसिल्टिंग के नाम पर ऑनलाइन निविदाएं मांगी। इसके जरिए बजरी खनन किया जाना बताया, लेकिन बीसलपुर बांध के डूब क्षेत्र में ड्रेजर जैसे यांत्रिक साधनों का उपयोग किया जाएगा। दीर्घ अवधि निविदा के लिए रेत खनन प्रबंधन, प्रवर्तन व निगरानी संबंधी दिशानिर्देशों की पालना नहीं की गई और न ही जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार की गई। बीसलपुर में डीसिल्टिंग की आड़ में यह ठेका दिया गया, जबकि नियमानुसार पर्यावरणीय मंजूरी बिना बजरी का दीर्घकालीन वाणिज्यिक खनन नहीं हो सकता।

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