हाथ में फैक्चर, सिर में करीब एक दर्जन टांके लगे-
उन्होंने बताया कि गलवान घाटी की नदी में करीब फुट गहरे बेहद ठंडे पानी में यह संघर्ष चलता रहा। जहां यह संघर्ष हुआ उस नदी के किनारे मात्र एक आदमी को ही निकलने की जगह थी इसलिए भारतीय सैनिकों को संभलने में भारी परेशानी हुई। सुरेंद्र ने बताया कि कि अब वह स्वस्थ हैं और लद्दाख के सैनिक हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा है। उनके एक हाथ में फैक्चर है और सिर में करीब एक दर्जन टांके लगे हैं।
चीनी सैनिकों ने कांटे लगे डंडों से हमला किया-
उन्होंने बताया कि पांच घंटे पांच फुट गहरे पानी में हुए संघर्ष में सिर में चोट लगने से वह घायल हो गए थे और अन्य सैनिकों ने उन्हें बाहर निकाला। उन्हें तब तक होश था, उसके बाद उन्हें लद्दाख के हॉस्पिटल में ही आकर करीब 12 घंटे बाद होश आया। उन्होंने बताया कि चीनी सेना ने कांटे लगे डंडों से हमला किया। जिस वक्त यह हमला किया गया उस वक्त भारत के सैनिक कम थे, लेकिन उनमें जज्बा चीनी सैनिकों से लड़ने का पूरा था। आमने-सामने होते तो चीन के सैनिकों को धूल चटा देते।
19 साल पहले सेना में भर्ती हुए-
19 साल पहले भारतीय सेना में शामिल हुए सुरेंद्र सिंह 3 मीडियम रेजिमेंट में पिछले 2 साल से लेह में तैनात हैं। वह 20 जनवरी को घर आए थे और 31 जनवरी को लौटे थे। चीन सीमा पर तनाव बढ़ने के कारण उन्हें लद्दाख में चीन सीमा पर तैनात किया गया। उनकी बटालियन शिफ्ट होने वाली थी लेकिन कोरोना के चलते शिफ्टिंग की प्रक्रिया रोक दी गई। परिवार में माता-पिता, पत्नी, तीन बेटियां और एक बेटा है। सुरेंद्र का चचेरा भाई भी सेना में है और जालंधर में तैनात है।
2005 में भी घायल हुए थे सुरेंद्र-
पिता बलवंत सिंह ने बताया, सुरेन्द्र वर्ष 2005 में लद्दाख में ड्यूटी के दौरान पाकिस्तानी सेना के सीजफायर में गोला फटने से गम्भीर घायल हो गया था। तब पैर में चोट आई थी लेकिन उसने हौसला रखा और शीघ्र ही देश की सेवा के लिए फिर से खड़ा हुआ।
पत्नी बोलीं: उनकी वीरता पर गर्व-
सुरेंद्र सिंह की पत्नी गुरप्रीत कौर ने बताया, उन्हें होश आने के बाद बुधवार शाम को उनसे बात हुई। बोले, मैं ठीक हूं, सभी हिम्मत रखो। वह दुर्गम इलाके में तैनात हैं इसलिए 10-15 दिन में एक बार बात होती है। मौसम साफ होने पर वह खुद ही फोन करते हैं। सुरेंद्र ने बताया है कि चीनी सैनिकों से झड़प में उनका मोबाइल व अन्य सामान गुम हो गया। चीन सीमा पर दुश्मन और मौसम दोनों का खतरा है इसलिए चिंता तो रहती है लेकिन उनकी वीरता व साहस पर सभी को गर्व है।
मां की आंखों में आंसू-
नौगांवा स्थित उनके घर में सुरेंद्र सिंह की मां प्रकाशो कौर की आंखों में आंसू थे। रिश्तेदार लगातार उनसे मिलने आ रहे थे।