उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति को आरक्षण संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत मिला है। केंद्र सरकार ने अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के लिए अनुच्छेद 341 और 342 के तहत केंद्रीय सूची का समूह बनाया है। इसमें उप वर्गीकरण का प्रावधान नहीं है, न ही क्रीमीलेयर लागू है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार उप वर्गीकरण का अधिकार राज्य सरकार को है। न्यायालय ने बिना आंकड़े जुटाए और बिना विश्लेषण किए उप वर्गीकरण नहीं करने को भी कहा है।
मंत्री गहलोत ने कहा कि 1 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2004 में आंध्र प्रदेश के मामले में दिए अपने ही निर्णय को पलट दिया, जिसमें यह भी स्पष्ट कर दिया के सभी एसटी एवं एससी जाति समान नहीं है। कुछ जातियां और जनजातियां आरक्षण के लाभ के कारण सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से अन्य के मुकाबले बेहतर स्थिति में आ गई हैं और आरक्षण का अधिकांश लाभ इन्हीं जातियों ने लेना प्रारंभ कर दिया है।