अभी यह हो रहा
अभी बिल्डर-डवलपर अपने स्तर पर ही लॉटरी के जरिए आवंटन कर रहे हैं। सरकार ने यह अधिकार उन्हें दिए हुए हैं। लेकिन कई शिकायतें आई और जांच में सामने आया कुछ आवासीय योजनाओं में वास्तविक जरूरतमंदों की बजाय अपने चहेतों को सस्ते प्लॉट-फ्लैट दे दिए गए।
यह सुविधा मिल रहे इन्हें
मुख्यमंत्री जन आवास योजना के तहत सरकारी भूमि पर भी मकान-फ्लैट बनाने का काम बिल्डर को दिया गया। इसके अलावा उन्हें स्वयं की योजना में भी निर्धारित हिस्सा ईडब्ल्यूएस व एलआईजी वर्ग के लिए छोड़ना होता है। ऐसे आवास को बेचने की राशि तय कर रखी है, जो प्रति वर्गफुट में है। इनहें भू रूपांतरण शुल्क, भू उपयोग परिवर्तन शुल्क और भवन मानचित्र अनुमोदन शुल्क समेत विभिन्न प्रकार की छूट दी जा रही है।
सुविधाओं नहीं तो मोहभंग…
-आबादी क्षेत्र से दूर होने से मूलभूत सुविधाओं का अभाव रहता है।
-वहां से नौकरी, व्यवसाय स्थल तक आने-जाने के लिए सुगम परिवहन साधन नहीं या कम।
(नगर नियोजन से जुड़े अधिकारी ऐसी योजनाओं को सुविधाओं से कनेक्ट करने की जरूरत बता चुके हैं )
यह है क्षेत्रफल…
ईडब्ल्यूएस- 320 वर्गफीट कापरेट एरिया व 425 वर्गफीट सुपर बिल्टअप एरिया
एलआईजी- 350 वर्गफीट कापरेट एरिया व 550 वर्गफीट सुपर बिल्टअप एरिया
(इस प्रावधान में भूतल सहित 4 मंजिला इमारत का निर्माण किया जाता है)